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किलक्लिति वन विचरती वेलीवर वीसास सधि धामी साहस कीउ हूँ एकली निराम ... पोपट. माणि असाइत भव भरि बभरि सामाणि कंत
हंसाउली धरती उली उि प्रि पुषि पत ... पोपट. इसी प्रकार के दूसरे विरर पद राग ह देशार और रागराडी के इष्टव्य है। कवि की हा सर्वत्र वर्तमान है। वर्णन में दों का साम्य है। इसी प्रकार की रचना #. १४८५ में रचित जैन कृति की हीरानंद मूरि विरचित विझ्या विलास पावाड़ो है जिससे इसकी वर्णन पदयातियों तथा अन्य विविध साम्यों की तुलना की जासकती है। विद्या विलास पवाड़ो का वस्तु शिल्प भी लोक क्यानक पर आधारित है तथा उसमें भी अनेक बार कवि ने पदों में अपनी छाप छोड़ी है। दो के वर्णन में देवी रागो का महत्व पर्याप्त मामय स्पष्ट करता हैदों में दोहा चौपाईसाउली के प्रमुख FE है। कवि ने नायक हंस और धीरोदात्त के गुणों का प्रायोपान्त निवार
समय सेठ और रानी चित्रलेखा हंस के दरबार में आते है अपने बड़े भाई का पता बात करने के लिए हंस ने आने का जो प्रयास किया था उसी को कवि में के सराबों प्रस्तुत लिया है..
पुम्पर्वत की मार प ति परवार राब काम अबको बामलिया ,बहारीमा मासान परि बहन मन मिलिया सी. पा विषयी का निर्मश्री, MP पीनु नि धर्मी बीस विडिgand बिल पेन मी, पापीय पाल विमामा भाग, मालपाति पनि भाभि इन हिमानीको बही पहरसी भापनि तिगि बारित म्यागारिया बाने, बीमिनार माने काधिक सा गा करो.