________________
१४६
कवि ने रचना का समय और विक्य का परिचय प्रारम्भिक पंक्शियों में बड़ी ही लूट बेली दिया है। रचना की कथा लोक आध्यान पर आधारित हैारमा प्रकाशित श्री मोहन लाल बली बंद देसाई ने भी इस रचना विज्य में अपने प्रध में चर्चा की है।'
भवता (1) मुनि , वछ ईसवर- बारित अब।
बावन वीर क्या रस कीर, यह पवा असाइन करि। इस प्रकारइसका रचना काल १४ - नि ..:. १० है परन्तु चक्र और मुनि : • लेने पर इसके रचना की सम्भावना • भी हो सकती है। कवि के अजैन होने का प्रभाष यहमिलता है कि उसमे प्रारम्भ में ही भू और शक्ति की वंदना की है।वस्तु द में यह बंदना देमियः
सकति बभूब सकति संभूब परत परमे। विध विधवर विधन र क कवित्त मन धाविति। कासमीर पुषमंडमी ईस गमि सरसती समिपि। वास प्रसादि बेद व्यास वाल्मीक रपि इस पहन उपदेश। नास प्रमाबिमा पनि वीर क्या वरण व्योग।। ।।
बहकाव्य चार महीने विषय है तथा ४४. कड़ियों में लिखा हुमा एक रख प्रधान काब है। पूरा कास्य कवि ने ब स लिया है। अनेक स्थानों पर काम र हाथीभावना पीकवि मे झाकी शिनी प्रष्टि की है उसमें विविध रामों में निकाली। सिरि राम मामिका साकीका बिरामा पूर्व वि पि मा पने पोपट पाहिए पीविता :
रामारि मावि पूरव प्रेम मक पानि दाबानक बगी बळी दाकिम
पोष्ट पीना या ने नरनाथ नि बम की बनी मिनई पानी साथ --- पोपट)
रवियो बी मोल का सीना मान !