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सकेगा। डा. गुप्त शीघ्र ही इसका पाठ, अर्थ तथा टिप्पणियां प्रकाशित करने वाले है।
शिलालेख के कोने इटित और पंडित हो गए है। शिलालेख का प्रतिचित्र ( Eshampaqe ) बहुत पंडित है तथा स्पष्ट नहीं जा पाया है। अनेक पक्तियां त्रुटित है अतः पाठ स्पष्ट तथा सार्थक नहीं बन पाता फिर पी प्राप्त पंक्तियों के आधार पर काब्य और गड़ब दोनों अंडों की सम्पन्नता, कलात्मकता, अर्थों की प्रभविम्यता, प्रेक्मीयता तथा पदला हित्य और काव्यात्मक सरसता की परीक्षा की जा सकती है। कलात्मक गदव और गद्यकाव्य पर विचार करने हुए लेखक ने गइय की कुछ पक्तियां प्रस्तुत मन में उच की है उनसे इस गदा की सम्पन्नवा, भाग्य के उपमान, मौलिक वर्णन तथा सुन्दर चित्रों का परिचय मिल सकेगा।
कवि ने काव्य या गझ में वर्णन की पुनरावृत्ति की। दोनों काम उसी प्रकार का मिला मुलगा वर्षम है। नाविका रास मोर, नाब, वार, मानमर मादिनी रे वर्णन मा स्थानीय काम की इष्टिका अपमान Hथा मन्दिन है। वर्षमा प्रामाविका मापान
taरी वन कागार इन्टबाया गब्ब प्रथाविमा विशिष्ट काय म का एक उचरम ग रि वा रहा है.
पए कानो काम बघा ना कर देखा बारमबोरो ) ,पाइनउ सो पथ को न मोहा माल
दीव, जो बाबद मोबन बाड गिना, काई करेबर सोही बान।
जान्दाकिन मरनाक साहित्यमा रमार, विवरण
-बार प्राकाम्याय-PET