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वास्तव में यह शिलालेख दसवीं शताब्दी का है। इसका प्राप्ति स्थान सम्भवतः धार की सा होगा क्योंकि इसमें जितमा भी वर्णन मिलता हैवा सब माल का ही है। प्रस्तुत शिलालेख में कवि का कहीं भी पता नहीं मलता। इस शिलालेख की नायिका का नाम राउत है।बहुत सम्भव है कि डा. नावापी क्या डा. मोतीक्ट ने इस राउल मद को रोद्रावल पड़ लिया हो। क्योंकि रोद्रावल और राउत बब्व में पर्याप्त साम्य है।
शिलालेख की वर्षय वस्तु श्रृंगारिक है। इसकी नायिका राउत नवयौवना है तथा विवाद करके अपने पति के घर जाती है। कवि ने विवाह में पूर्व और पश्चात् भाइयोपान्त उसके अंगार का अपूर्व काव्यात्मक कलात्मक एवं चमत्कार पूर्ण वर्णन किया है। मत :राउल का मानिस वर्षन ही पूरे शिलालेख की वर्षयवस्तु है। भाग शिलालेख पक्ष्य में तथा मा गड्य में उपलथ होता है। गद्य में उपलब्ध वर्णन से उसके पदय के व न्य प्राभ्य का अनुशीलन किया जा सकता है। डा. मावा प्रसाद गुप्त का पता लेखक मा की पुष्टि में उन किया जा सकता है।
डा. गुमा का इस शिकावी पापा म. इसकी पान पुरानी दी है। उनके विकी देवी विभावानों, विपिन अन्टमी का मन नहीं है।
म सरल, बस या साबमा । सस्म की इस निका वर्ष मल्ट या प्रामी।बो पीडा माता प्रसाद पुचा और गरिमान भावाली बोनी बिडदान बब इस शिलालेख का सम्पादन प्रगतिमी समय में अनेक मान्यों को गाना गा