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जिलाब की है। इस विलाब का उल्लेख आचार्य डा० हजारी प्रसाद द्विवेदी ' और डा० हरिवंश कोछड़ ने अपने ग्रन्थों में किया है। डा० हरिवंश को ने लिखा है "संस्कृत और प्राकृत में लिखे गए अनेक बिलाले उपलब्ध होते हैं किन्तु अपभ्रंश में लिखा हुआ कोई विलास अभी तक प्रकाश में नहीं जा सका। बम्बई के संग्रहालय में धारा से प्राप्त एक अपभ्रंश जिला विद्यमान है। -
डा० कोटड़ का विलास के अस्तित्व सम्बन्धी यह कथन तो सही है परन्तु उनका यह कहना मुक्ति संगत नहीं प्रतीत होता कि यह किलाले का है। डा० कोड को इस विलास का पाठ सम्मनवः उपलब्ध नहीं हो सका होगा। इसीलिए उन्होंने इसे अपड का लिख दिया है। वास्तव में यह जिलालेख पुरानी हिन्दी का है। आचार्य हजारी प्रसाद दिववेदी ने भी जपेन ग्रन्थ में इस शिलालेख को अप का लिख दिया है। वास्तव में सम्प्रति इस उपलब्ध पाठ से किला arrafथत बातों का सहज ही निराकरण हो जाता है।
सम्बन्धी
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लेखक को प्रस्तुत विलास प्रिंस आफ वेल्स म्यूजियम, बम्बई के संचालक डTO मोती की कृपा प्राप्त हुआ। प्रस्तुत बिलाल का अलग अलग डा० हरिवल्लभ मतवाणी तथा डा• मावा प्रसाद गुप्ता सम्पादन कर रहे है। लेखक को इसके पाठ के मेड डा० मरता प्रसाद मुक्त और डा० गावानी से प्राप्त हुए है।
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में लिया गया
और इसका पाठ समकालीन प्रति देवी माकामों के विभिन
१- हिन्दी २३- नही
की भूमिका डा हरिवंश को
की कुछ
हरी प्रसाद दिववेदी, पृ० २२ सन् १९४८ पृ० ३५ सन् १९५६॥