________________
१३४
है परन्तु ८वीं से १९वीं उताइदी के संक्रातिकाहीन समय में ऐसे सुन्दर महाकाव्य मंडकाव्य, रोमाटिक काव्य त्या मुक्तक काव्य अन्ध मिलना हमारे प्राचीन साहित्य की अपूर्व सम्पन्नता का इयोतक है। वन परंपरा की काव्यात्मकता, छन्द, अलंकार रस किसी भी इष्टि से ये काव्य कमजोर नहीं पड़ते। को संस्कृत काव्य मे तुलना करने पर इममें अपेक्षाकृत दोष दर्शन का आरोप लगाया जा सकता है। क्या और चरित्र अन्धो में स्वयम् का उम चरित हरिवंश पुराण, महापुराण धनपाल की पविसयत्त कहा हेमचन्द्र कृत विकाठि शलाका परित, धवल कवि का हरिवंश पुराण अप्रैन कृतियों में प्रथ्वीराज रासो के अपक्ष के अंश, रन्यू के पदय और बलभद्र पुराण ४ याकीर्ति का पान्ड-पुराण तथा हरिवंश पुराण और अतिकी ति का हरिवंश पुराण पुष्पदन्त का जयकुमार बरिउ, सार बरिउ ,वीर कवि का चंबूस्वामी चरिख, मयमंदी का दखन चरित कामर का करक चरित, सागरदत्त का जम्बूस्वामी परित प्रान्त के सुपामा परिक्ष में अपांच अंश, देवबन्द के मुलबास्यान और वर्धमानमूरि का वर्षमान परित, पाहि कवि का मासिरि चरित "श्रीधर कवि का पाना परिउ सलमाल परित, पविख्यात्त चरित, तथा मुलोचना चरित' +वि सिंह रविश पुग्जाल परिसर प्रद्युम्न परित) हरिमा विरचित मनत्मार पति।
१- देवि बाय डा. हरिया गेम... १- मावा पी.-सम्पादक श्री. लाल और गुमे या हिन्दी विकास
अपका बोन.सा.नामवर सिंह .. दिगम्बर मन्दिर बड़ा हपषिोंगर-जयपुरवित सबा इलाहाबाद निवापिटी डीज़ा
मोधीरालाब का निर्देशन। ४.बामेरास्व मंडार बपुर।
अशा गोड-10 "बही . . . -मामेरशाल्व टारनौष संस्थाम, पमपुर। - अपर प्रकार: . मार,.५०,प्रकास वर्षापबमाला,काली-१९५६ १-पाच प्रकार - मार पम.ए.,प्रकाशक व ग्रन्थमाला काशी। ११. अपारिवामि -100 डामेछ। -बही, आमेर गर, बबपुर।
वाव Ful