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पाप, पापामुधी पाय, और पापानबंधी पुश्म।
इन तत्वों के firsa माँ की , अस्था' जिनका बहार मम जीवन में दी है। साथ आवक वानिक जिनसे जैन धर्म की व्यवहारिकता, धर्म भावना, IT मोव, सार, हिंसा, 'विश्व शान्ति भादि की प्रभावना होती है। जैन कविणे और बानियों में यह स्पष्ट किया कि कल्याण का मार्ग सबके लिए RT FITS में अपार दुष, धर्म प्रभावना लिए परमावश्यक है। भगवान की प्रतिमा के दर्शन में मन का समस्त काहस्य जाता है। जीवन को गतिशील बनाने के लिए fer का मनुगमन करना ह क लिए बम की भावग्यता, पग माध्यम पी शरीर है। मनुष्य को बसाई दान कीस होमा पाए। यो किरीर ही बयाना और दानशीलता सम्पन्न होती है। देवी सब गली। नी मध्यस्थ, प्रमोद ना मा बी नगर भावनाओं की अवधारणा
की रिनिराकी पावना या भज प्रवृत्तियों अप करने का मनुष्य को रामार वरामी साने
नियों में आया है व मनुष्य पता और बाबर याप्रति निमावान
खिर क्या की प्राधिमा बसा करती। लो।
बन लादोबारामागे पाययोर र
माया मम
Mrwarm गे यो मार विविध लिनों और परिवानी मारे भान गाजे
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