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काल निरा बो प्रकार की होती है। यदि मिर्जरा काल बन गया कर्म विनष्ट हो गए तो पत्र की प्राप्ति होती है। अन्यथा lna है। मोब से सबको मय हो सकता है। मोल बल नाम की सिद्धि हो जाती है। (यामाम, पन्या चरित्र और सत्य
मात्मतत्वको पहिचानमा ही मामान (Rahe Kmastudae है। माम विधि कर्म आवरण को मामे बिना स्पष्ट नहीं हो सकी। बार की सम्पूर्व पीड़ा था सब भावात्मा की शामता पर बलविati मामापिस होना ही जीवन को माध्यात्मिक माना है।
सत्य मान का पाप मोर ना होता ही हरित ( Raha conduct 1, पर ना जीवन का स्वर्ग कला या पाप माँ
पुर राना बनी नारिया या प्राप्त करना है। इस गारिक मागों और गस्टो दोनों का गरिय गाबिल है।
राग इसकी रियो मे बवाना और गीला ही वार्म का प्रसव- धर्म विश्वत्व का है। पान्य बरा त्य, माधिकाधिक ग्याला शोरपिसाव वन भोग होता है।
मग मर्मीमा मया है। दो
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:- अक्षिपात का बाबाली की त्या नहीं करनी
muीमेवारयों का त्याग सा चाहिए महाना -पीनी मना- मासिक पी गरीबाला पुरी
पोरी का माम माम मावस्या