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ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है, क्योकि मि के कागबाई के शिलाले २ यायनीग सम्प्रदाय के धर्म कीति और भागबन्द्र के समाधि लेगो का उल्लेख श्री नाभू राम प्रेमी ने अपने प्रन्थ कि मापनीय बामपीय सम्प्रदाय की उपासना और उसका स्वरूप:
सापनीय च वाले भी दिगम्बरों पर्याप्त मेल जाते है। उनकी प्रतिमाएं विस्म होती है। अत: दिगम्बर और मापनीयों की प्रतिमा म अन्तर को सपना कठिन है। इसी तरानापतीय च का बहुत था साहित्य भी सबूत दृष्टि है दिगम्बर सम्प्रदाय जैसा ही मालूम होता है। सित बिस्तर के कवी हरिभद्र और पटवर्शन मधुम्चय के टीकाकार ने इसकी उपासना और स्वरूप वर्णन किया है। उनके अनुसार नि मगन रहते थे। पोर की पिछि रसते थे। प्रतित पोजी, नगन यि पू और बंदना सेबा भावकों को धर्मलाभ हो। सब
बाबरियों जैसी थी, परन्तु पाय मानक स्त्रियों को बीभ मोव हो सका है, व मोन करते है और प्रभावस्था और परमपी गुल होना है। इसके सिवाय गटान की बमोरिय
बारों से मालूम होता है कि पनीय में पावर बसून मिति और स मादियों का पलपान होता था बबाह न मानों वारियों माननी पी शिवारों को पी गानी ..
गालीन बार गया . ... .. गनीम वाव मिमी
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