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भी नहीं है। वेताम्बर सम्बाय का प्रबार गुजरात में अधिक राजस्थान में बीकानेर, मेर, पान, जयपुर आदि अनेक डार श्वेताम्बरिकन कवियों द्वारा प्रनीत मयों के डार है। जिनकी अनेक कृषिया पुरानी हिन्दी की सम्पत्ति
वस्तुतः उत्तर और दक्षिण भारत में जैन धर्म के ग्वेताम्बर और दिगम्बर सम्प्रदा की प्रगति की बप में वही कहानी है योकि श्वेताम्बर या दिगम्बर खदानों पर अनेक विद्वान या प्रकार के यहा इन सम्प्रदायों पर अधिक लिमा एम्पेषण मात्र होगा। श्वेताम्बर, दिगम्बर, पम्प्रदायों अतिरिक्त पी एक तीसरा सनदा -वापनीय सम्प्रदाय है। यह सम्प्रदाय दिगम्बर सम्प्रदाय का ही दूसरा स्वरूप है। इस सम्प्रदाय की शिल्प जन्य विशेषताओं का क्षिप्त परिवार
यापनीय सम्प्रदायः दिसम्बर और श्वेताम्बर सम्प्रदायों के प्रतिwिa धर्म का पक ग्रीय पर्वमहत्वपूर्ण सम्प्रदाय यापनीय मन्नादान है। इस सम्प्रदाब को बानीय मापुतीय मा गोच च कहते । इस सम्प्रदाय का इस समय भी नुमायी नहीं है। दिसम्बर ताम्बर मीर जापनीय के तीनों सम्प्रदाय बमकालीन ।
m ar पब यह सम्प्रदाय और मास पासमा प्रभावशाली
रामट बावि राजावों में मापनीय सम्वाब बालों को पियार मादि किसी का निवारणीय सम्मानपूर्वक THE या गटान गाकत
अ सलसिौर रियपि पारित सविता स्वार
निवास बालक पका मन नपरनानी पट अवश्य बीविया होगा,
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Ahan - raamsamvीनाराम प्रेमी:
हिन्दी अन्च रत्नाकर
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....पाध्यासी