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ढTO राधाकुम्बेन का जैन धर्म के प्रथम संस्थापक के लिए मतैक्य नहीं है। एक
पार्श्वनाथ को मानते है तथा दूसरे रिव देव को, पर आज अधिकतर नैनी रिक्मदेव को ही यह मान्यता देते है। रिदेव के महावीर तक जैन धर्म भारत के विभिन्न प्रदेशों में विमान था पर
धर्म ने अधिक रम वीर स्वामी महावीर
से ही पकड़ा। बौध धर्म की परत जैन धर्म भी रामानों द्वारा सम्मान प्राप्त करता
रानीरों में
महावीर ही माने जाते है जिन पर
कर रिवमदेव पानाथ और नेमिनाथ, UNT काव्य रहे गए हैं। कवियों ने इन्हीं वीरों महावीर का प्राइमीय बौद्ध धर्म के
य
को अपने काव्यों का विषय बकाया है। महात्मा दूध के साथ ही हम विद्या में भी दोनों रही श्री नेमिनाथ पर हिन्दी
प
दोनों धर्म समाज के प्रगति करते रहे। अतः प में पामहा रही है। महावीर के म काव्यों में का राज परि प्रध आदि अनेक ग्रन्थ किये गए है। महावीर का जन्म ६०० ई० पू० ३० वर्ष की अवस्था में हो गए। महात्मा बुद्ध ने और महावीर ने भग एक ही अवस्था में ईधार त्याग किया। बेदार का इस स्थान की पीड़ा का निराकरण उनके प्राणों में गहरी प्यार करना था। १५ वर्ष के कहे
बिहार प्रान्त में इमा।
तक
महावीर ने
के बाद उन्होंनेको उनी गई उपदेश दिए। उनके उपदेश
उनके उपदेशों
भी पूर्व प्रभावित है।
है। बाकी बात हो
दूर,
(1) There is evidence to show that so far back as the first century B.C. there were people who were worshiping Rishabhdeo the first tirthankar. There is so doubt tht Jainism prevailed even before Vardhamana or Parasnath. The fajurveda mentions the names of three Tirthankare- Rishabha, Ajitnath and Ariethaneni. the Bhagwata Paran endorses the wieve that Biahabha was the founder of Jainsie see Indian Philosophy Vol. 1 page 205.
(11)Jainion prevailed even before Vardhanena (Mahavira) er Farahva Bath. the Tajurveda mentions the names of three Tirthankar Rishabha Ajit Nath and AristoBee Indian Philosophy vel. I page 207 2. S. gadhakrishana