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________________ १० की यह स्थिति मुगलों के आक्रमणों तक रही। आदिकालीन हिन्दी जैन साहित्य की अनेक कृतियों द्वारा तत्कालीन स्थिति का सही चित्रण प्रस्तुत किया जा सकता है। वास्तव में १०वीं से लेकर १५वीं शताब्दी तक की सामाजिक स्थिति का ढाच सन्तोकजनक नहीं था। परन्तु इस विषम स्थिति में देश में साहित्य निर्माण कराने तथा कलाकार उत्पन्न करने में बड़ी सहायता की। उपदेश प्रधान वर्ग, बौद्ध तथा जैन साधु नगर नगर धर्म तथा सदाचार प्रचार कर रचनाएं करते थे। इसी प्रवृति ने जागे चलकर भंकारों के निर्माण तथा रवा में योग दान दिया। परवर्ती हिन्दी साहित्य में उपदेशक संतों की उद्भावना के मूल में यही उपदेश काम कर रहे होगें। वास्तव में इस्कालीन समाज का प्रत्येक क्षेत्र प्रत्याशित सामाजिक क्रान्ति का विषय था । इस्कान और मुगलों ने इस सामाजिकता में अपने आक्रमणों द्वारा विविध परिवर्तन किए। जिससे साहित्य रचना पर भी प्रभाव पड़ा। हिन्दू समाज आक्रांताओं से बराबर टक्कर लेता रहा। समाज ने विदेशियों की संस्कृति का दृढ़ता से सामना किया। (द) सांस्कृतिक स्थितिः संस्कृति में धर्म समाज, कला और सभ्यता इन तत्वों का समावेश किया जा सकता है। भारतीय संस्कृति पर समय समय पर ममपि विविध भाव होते रहे, पर कभी हमारे देश की रह सकी। यह भारत के ही नहीं संवार के इतिहास में भी महत्वपूर्ण स्मजीव घटना है। विका पूर्वकस्कृतिक का, क्या संगीत का क्या मूर्ति और वामी औरों का यह उत्कालीन कला प्रेम करने में यह है कि उत्थान प्रगति पर थी। क्या ि पर थे। राजा कस्कृति की स्वा योग दिया। गुप्त काल संस्कृति भी गुजरात तथा राजस्थान के राजाबों मेनोति दोनों कार्यो को पूर्ण प्रगति पर पहुंचाया। १०वीं शता परवा इन कार्यों का प्राथाइका ने की
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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