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माविकालीन रचनाओं में विवाह की पत्तियों का रुचिपूर्ण सामाजिक वर्णन मिल जाता है। सवारण जास्वामी का ८ धनिक न्याओं से विवाह हुआ। मुम्न चरित में प्रत्युन भा के अमेव रानियां थी। जिन ने अनेक कन्याओं से विवाह किया।
से उदाहरण अनेक मिल जाते है। ५- आम
आभूषण पहनने का शौक स्त्री या पुलों को पूर्व था। स्वयं राणा तथा सामन्त हीरा मोत्रियों से बाभूषण पहनी थे। स्त्रियों के लिए वो बिना आभूषण रहने का प्रश्न ही नहीं था। बाक्लो उम माग अंग हो गए थे। साथ ही विवाह में दहेज प्रथा इन प्रचलित थी। राजस्थान में यह प्रथा आप भी दूब है। रत्न हीरे मोती, पोहे,माथी, दासदाशियां आदि बोन में दिए जाते थे। 1- मान पाना
साधारण जनता का बानपान सामान्य था। राजवंश धामन्य वर्ग का पर अंबा था। मद्यपान प्रचलित भागधारन बान पान मेई, गाव यार, बाजरा, इल, की, श और शकर पाारा मासाहारी थे। बथा हाल भी पारी थे। रविनर की अपेक्षा माघार न था। बामनों ने भी मासमाना प्रारम्भ कर दिश धारा ब गान पान प्रभाव बीमा कार्य पर पड़ा है। इतना गौरी भारतीयों को मारी था कि सात्विक भोजन करते हैं।'
पनिक कोष पतिका बीमा वाम नगर के, बीवामी बादि कि दे
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