________________
८६
संचय होता था। कई राजशों में बाटुकार हो गए थे, जो थोथी प्रशंसा कर करके राणाओं को अपने काम से तक कर दिया करते थे। मध्यम वर्ग व्या वर्ग से रागा देगा लिया करते थे। इतना हो पर इस तत्कालीन राजानी पर्व मामलों में अनेक राजा धर्म पराग ज्या व्य प्रेमी थे। मोष इंज, जगदेव, बीसलदेव बादि अनेक राजा विवान कवि था कभी थे। उनके दरबारों में कई स्ला प्रेमी संगीत चित्रकार कपि, 'विदूषक मूर्तिकार, नास्ता प्रेमी या चाटुकार लोगों का पी स्थान था। 1- दार वापीः
राषायों की सेवा के लिए अनेकों वास दायिt सी बाती । उनका वीर स्वामी की सेवा के लिए बना था। उनी अधिकार नहीं थे। वे बागी
बना विषबाने थे। और स्वामी प्रथा राणा सामानों की बेगम सम्पत्ति बने हुए है। प्रथा भारत में वीं सान्वी प्रचलित सी। पुरानी हिन्दी की बनेक कृतियों में उदाहरणार्थ जम्भूल्बानी परित, प्रसन्न परिव, विद्या विकार मागे अन धादिबाज बारियों का वर्णन मिलता है। • विवाद:
निवास राज में प्रचलित था मार रानियां दी। सिमानामा विवाह करने वाले राणा, गन और पनि देशकोमा बारा-बीका निकाल प्रधान से
मारा की मादीमा गति था। रावा
बाजी मारील परस्पर अस होता पायरी बीन बनी दी। विवादमी मीmaha दिवा
NR भान भी ब प्रचलित वारा वाणा था पर में मिी कठोर नियम का पास नही पाया
-
दीपिटीड निन्या पाव
-AL