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गणेशपूजा, पंचायतन पूजा, स्कंदपूजा, सूर्यपूषा, आदि इसी ब्राहमन धर्म के कारण प्रारम 'मारिल मट्ट क्या कर के क्लिष्ट सिद्धान्त ऐसी स्थितियों में लोकप्रिय नहीं बन सके। इतिहास ब्राहमम धर्म के इन प्रस्तकों पर सम्यक प्रकार डालता है। इस मामलों में अनेक गोनों और पों का प्राइभाव बा। यहा कि इस प्राहमणों का प्रभाव इतना था कि विभिन्न जाति मेमो पिय र आदि की स्यानो विवाह करने तक का वर्णन मिलता है। ना रे पर भी इन ब्राममों ने अपने धर्म को kिetsumitarनाने का प्रमाण यिा। प्रति इतिहासकार गौरी रोषा ने किया कि.. प्रत्येक व्यक्ति इन्धानुसार किसी भी देवता की पूजा कर सकता था। मी देवता ईश्वर की भिन्न मिम्म शक्तियों के प्रतिनिधि है। कमी प्रतिद्वार राणामों में अदि एक नव भा जो दुसरा परम व तीसरा पगबदी का स्वासो पौधा परम बादित्य पत।'
___ जो भी हो, ब्राहमण धर्म ने इस प्रकार पण मी गे प्रभावित किया। मागे चलकर इसी का नाम हिन्दू धर्म पड़ गया। विदेशियों ने भी इसका नामकरण बिन्द्र किया। भारतीयों को विदेशी शासक न्हिा थे। बताः हिन्दू विधी धर्म विशेष का नाम नहीं। यह परम्पराम भारतीय संस्कृति और धर्म का प्रतीक
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