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जादि विभिन्न सम्प्रदायों की नीव पड़ी है। वास्तव में ब्राहमण धर्म का महत्व इसी
इष्टि से अधिक है।
परवर्ती विभिन्न सम्प्रदायः
ब्राह्मण धर्म की प्रतिक्रिया में संत और विविध वक्ति सम्प्रदायों का उदय हुआ। इन संत सम्प्रदायों में भी अनेक धार्मिक भावनाओं का मिश्रण था । विविध और मन किया। उपनिषदों और एकेश्वरवाद बनकर सामने आई। दक्षिण
आन्दोलन | नाथ ने संत सम्वाद से वेदों की परम्परा की मुसलमान फकीरों में भारत के वैन आन्दोलनों में वक्ता को
किया। मौध जैन तथा इस्लाम धर्म से प्रभावित समाज में नीच की प्रवृत्ति घटाने का काम देतों में किया। इससे अनेक पादाने वे संत सम्प्रदाय कला उच्च वर्ग के व्यक्तियों ने राम कु कृष्ण की भक्ति को अपनाया। साधारण पूजा समाप्त हुई और उसके स्थान पर evenue और प्रेम की भावना रामान बल्लवाचार्य मादि दक्षिण के बार
देन है। राजा कृष्ण भक्ति के केन्द्रको प्रचार हुए। राधावत्मी सम्प्रदाय निरंजनी सम्प्रदाय मा हरिदासी सम्प्रदान इन्हीं प्रवादों के है। इस प्रकार प्रान धर्म की क्लिष्टता को कम करने के लिए उक्त विभिन्न सम्प्रदायों को जन्म मिला।
(४) इस्कान धर्मः
इस्लाम धर्म की स्थापना
में
समय से हो
। इस काल में अनेक शब्दों का राज्यों में इस्कान स्वीकृत कर किया था। साथ की मराठी रानी
ही ११ र १२
- मूर्तियां
इस्लामीक के नीचे है। जोड़ने और मने के कारोबा
अनेक भारतीय विज्ञानों को
उन भारतीय क्रयों, गणित वर्धन,
गरमी में अनुवाद कराये गए। इस्लाम का प्रचार
इन कवियों को हमारा किया। नावडी मन म भादि इस्लामी कवि इस
१-१०-११ श्री
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