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ग्राहमण धर्म
इस धर्म के हिन्दू धर्म, ग्राहमण धर्म, वैष्णव धर्म, भागवत धर्म, आदि कई ना है। सच तो यह है कि यह ब्राहमण धर्म वासुदेव जान्दोलन का ही स्वरूप है। वही इस धर्म हिन्दू नाम का सम्बन्ध है या नाम विदेशियों का दिया हुआ है। कैम बीर बौध पारा के अतिरिक्त वायुदेव भान्दोलन ने इस ब्राह्मण धर्म की नींव डाली। यह धर्म पूर्व और उत्तर भारत मबीए मध्यदेश में पता। वैष्णवों और बों में भी मत भेद था। यों तो ग्राहक धर्म का उगम वैदिक काल था परन्तु वैदिक काल के देवतामों -इन्द्र बस्न अशिन आदि का स्थान ब्रहमा विष्णु महेश ने लिया। धीरे धीरे कर के दानिक सिद्धान्त ब्राह्मण धर्म की सम्पति समझे जाने लगे। ईश्वर को समझने का मार्ग में भक्ति मार्ग कहा गया। प्राहायों की इस समय बन आई। पन्दिरों की प्रतिष्ठा बढ़ गई। उपासना भवन कीर्तन आदि का सूत्र प्रभार गया। ब्राहमणों ने पौधों के बाम मार्ग पी बाध दिया। माहमयी इवारा अवैध बाब का पानी के दो मामलों में मिला विश्वासोंगे लाने मानवता को बया बनाने लिय पुराणों में या र रमेश
लावा। शहरमे बातों पर विवार को सिवियोवार we tell-son..बाराम बाल 2.पा- - भाग रामानी
लिक विविध भागों मलिनाबी प्र
तिमा पर भागवत या वैया बावामी बल संख्म है। और वो भी किया वामगारभावों के परस्पर उस व भावनालों को दिया।
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