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सेल"गों को अपनी ओरींचना चाहते थेrबी सिद्धों के विचित्र जीवन और लोक भाग की कविताओं को भी इस काम के लिए इस्तेमाल करते थे। मगर यह सब हवा में तीर बलाना था। अब भी बहुसंख्यक जनता की कितनी ही समस्याएं सामने थी लेकिन बीइधों के मस्तिक और हथियार इंठित होथे।........ मरहम्पा का सहजयान न मन्तर, भूत, प्रेत, देवी, देवना सम्बन्धी बजारों मिश्या विश्वासों और ढोगों के पैदा करने का कारण बना। अरे मिल्या विचारों और डोंगों के पैदा करने का कारण मन ये सारे मिया विश्वास सारी दिव्य शक्तियों महमूद और मुहम्मद बिन बस्तियार के सामने धोथी निकली और बारा कुमाला, लोकेश्वर और भीमन्दिरों और मठों में हजार हजार वर्ष की अमा हुई अपार सम्पत्ति अपने मालिकों और पुजारियों के साथ ध्वस्त हो गई। वैचू मियों के रहने के लिए जब न कोई मिहार रहा र उनके संरक्षक और पोकर सामन्त पहिली अवस्था में रो, न साधारण जनता का विश्वास पूर्ववत् सा तो उन्हें भारत में दिल काटना रिक्त होने लगा।पश्चिम की धरती को उन से पहले ही मिल की थी। लेकिन उत्सर (विषय) प्रब (बी, पीक) और बनि (डिल) में अब भी उनके स्वागत करने वाले वायूद थे। इस प्रकार ये मे बौध बौदय हस्थों ममा बाहर को गए। मिलीभाव में स्व बौध धर्म मे तने से। और जिसकी विपरीम समाई, घर चले गए। इस प्रकार नामा निशिता ध्वंस बाद पानीपीडियो बीचमा रह गया.
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वी कामगारा.
श्री राम सांकृत्यायन ।