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(1) अधतिबध सादियां
अनुव तिबदुध साड़ियों की परंपरा मौलिक होती है ये क्यानक कड़िया लोक आख्यानों और शुचियों से समन्वित होती। इनमें पूर्व जन्म वर्णम, बन वर्णन, आकार वाणी, मंत्र वैर इवारा युध, देवी का प्रसन्न होकर बरदान वैना, तपस्या से संतान प्राप्ति, पविभ्य सूचक प्रतीकात्मक रास्यपूर्ण स्थान, म परिवर्तन, स्वपन में प्रिय वन, पर स्त्रीजरम, मायक की उदारता, बारहमासों के कारण विरा वेदना का प्रकाशन, राह भटक कर दूसरे मार्ग में निकलना और वही अन्दारियों का उस पर न हो जाना आदि सब लोक मास्यामक कड़ियों का वर्णन मिल पाता है। इन सड़ियों की परंपरा लोक आख्यानों में पूर्ण रही है। पूर्व जन्म वर्णन बाषा मी रचनाओं में मिल जाना पूर्व भव और पूर्व मन्त्र की यह वर्णन परंपरा क्या सत्यागरायाको मिल जाती है।ौ उपलव्ध रचनाओं में बंदनवाला राम, जबस्वामी चरित, अबूस्वामी सत्क्यस्तु, प्रद्युम्न धरित, अंबिकादेवी पूर्वमय वर्षन वलहरा,नेमिनाथ बहुम्माविका, और पान्हव दरित रास में पूर्वजन्म वर्णन, भरतेश्वर बागवली राम, प्रदान गरिख स्था मिला विकास भवान अपवन वर्णन मिलता है। मान भारतीय काव्यों की प्रमुख परंपरा सी है। इसन बालों वारा अनुम्ब के हुए निधि विधान वा विवार मिली इविवाद पर भी बलो था इनके पीछे किसी निश्चिात्य मी नहीं होते अपितु नो मनोविज्ञान मानिया बान, हिमादिता कही जाम हो श्री अषित नहीं। मन को ।। ग बनानों पदारमा भरतेवर बागली
कोली, मियार कर्म वापि मिल जाते है, विभागका बिर बर बर व वधूक प्रकारे, देवी, नामावादको यिा। इसी बरा वर्णन प्रम परित
न मान बर्षन परंपरा बड़ी प्राणिय पपरान का प्रकार के होते है और जैन कवियों में इसका इलकर निवार