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किया है। जिनदत्त बउपर में कवि रल्ड को सरस्वती का प्रसन्न होकर वरदान देना, भरतेश्वर बाहुबली रास में चरत्न के लिए भविष्य या आकाशवाणी होना, महावीर, जंवामी विनाथ, स्थूलभद्र आदि सभी महापुरुषों के जन्म के पूर्व उनकी माताओं को अद्भुत स्वप्न जिनमें अनेक पशु जैसे हाथी, शेर, देवता तथा कमल आदि अनेक कई बीचे उनके मुंह में प्रविष्ट होती हुई लिखी गई है। अतः जन्म के पूर्व आये इन स्वप्नों का रूढ़ि वर्णन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। तपस्या से संतान प्राप्ति जिनवत्त वरपर में, मेमिनाथ चतुष्पदिका बारहमासा में राजुल का बारहमासा के रूप में देव राक की नायिका की भांति विप्रलंभ निवेदन, नायक विद्या विलास और जिनदत्त का भटक जाना और विभिन्न इन्दरियों का उन पर मुगु होना, नायक प्रद्युम्न पर उसकी कृत्रिम पाया कनकमाला का मुग्ध हो उसे अंचल से चिपकाना आदि प्रद्युम्न चरित में अनेक कड़ियों का फल निर्वाह मिलता है। इस प्रकार में कड़ियाँ लोक श्रुति के माधार पर मौतिक परंपरा के दुवारा प्रचलित होने वाली है अतः लोक परंपराजों ने इन कथा रुड़ियों को जीवित कर रक्क्षा है। आदिकालीन हिन्दी जैन काव्यों में ये रुढ़ियां विस्तार से
हुई है।
(४) काल्पनिक इंडिया
tree arena का क्या काव्य में प्रयोग भी पकील्ड में परम आवश्यक बतलाया है। यों में अनेक ग्रन्थ ऐसे उपर होते है जिनमें afe मारा रचित मौलिक घटनाओं का प्रयन मिल जाता है। अतः कवि की इस कथादियों को भी प्राणित करने में सक्षम है। कल्पना के माध्यम है ही कवि या स्वाकर इन पहियों का सूक्ष्म करता है। भारतीय साहित्य ऐसे कवि के काल्पनिक अभिप्राय बहुत अधिक मिलते हैं। इस काल्पनिक रुढ़ियों में अनेक महत्वपूर्ण दिया हो सकती है वैसे कोई जीवटपूर्ण कार्य करके किसी की मकरन वर में किसी कुवरी को भयानक मह से बनाना किसी perer नगर की जाने पर देवको हराना, सेनाओं को निर्वक कर देना, श्रवण इवारा आकर्षण, सिंहलद्वीप का विषनारियों की