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१००/आधुनिक कहानी का परिपार्श्व व्यक्ति ही समाज का रूप धारण कर, फलतः व्यक्ति और समाज में समन्वय उपस्थित कर, नव-सर्जन की उत्कण्ठा और जीवनपरकता व्यक्त करता है । ये कहानियाँ युग की व्यापक चेतना से अनुप्राणित हैं। उनमें यदि कहीं नवीन मूल्यों की स्थापना नहीं भी है, तो नवीन मूल्यों की ओर संकेत अवश्य ही है। संकेत इसलिए, क्योंकि आज की कहानी व्यंजना प्रधान रहती है। उनका मूलाधार मानवतावादी हैमनुष्य में मनुष्य की पहचान और मनुष्य की नैतिक ज़िम्मेदारी का मांगलिक रूप।