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________________ ६२/प्राधुनिक कहानी का परिपार्श्व सभ्यता की वर्तमान क्राइसिस के बीच उसे सिर ऊँचा रखना है, यदि वे अपने को जागरूक और 'जीवित' लेखक या कलाकार कहलाना चाहते हैं । हो सकता है, आधुनिक मशीनों की घड़घड़ाहट के बीच जागरूक लेखक या कलाकार को परम्परानुमोदित कला-माध्यम और भाषा-शैली से भिन्न माध्यम और भाषा-शैली ग्रहण करनी पड़े, जो संभवत: सौन्दर्य की कसौटी पर खरी न उतरे, किन्तु उसके पीछे उसकी जीजिविषा होगी, उसकी सर्जनात्मक प्रतिभा होगी । यद्यपि कहना ही यथेष्ट नहीं है. क्योंकि 'कैसे और क्या कहा गया है', यह भी देखने की बात है, तो भी वह कुछ कहेगा । वह चौमुखी यथार्थता को हृदय रस में पगा कर कल्पना के सहारे व्यक्त करेगा । इसके अतिरिक्त लेखक या कलाकार को यह बात भी ध्यान में रखने की है कि ग्राजे दुनिया में चारों ओर नीचे के लोग ऊपर उठ रहे हैं । उनकी बोलियाँ, शब्दावली, रूपक, कहावत - मुहावरे, रहन-सहन का ढंग ग्रागे आ रहा है । ये लोग वे हैं जो वैज्ञानिक वृत्ति रखे बिना ही विज्ञान का प्रसाद प्राप्त कर जीवन को सुखमय बनाना चाहते हैं । इससे स्थिति जटिल हो गई है । इसलिए, क्या कहा जाता है, कैसे कहा जाता है, इसका महत्व किसी प्रकार भी कंम नहीं माना जा सकता । मानव जीवन के वर्तमान संक्रमण काल में जब वैज्ञानिक प्रगति और नीचे से ऊपर उठे हुए लोग परम्परागत मानवजीवन की चुनौती दे रहे हैं, लेखक या कलाकार का उत्तरदायित्व और भी अधिक बढ़ जाता है । इसके अतिरिक्त आज के विश्व में दरार पड़ गई है। मृत्यु के भयावह बादल मँडराते रहते हैं । घृणा, हिंसा और प्रतिशोध की भावनाएँ प्रबल हो रही हैं। तृतीत महायुद्ध की सम्भावना दृष्टिगोचर होती जा रही है। प्रत्येक देश की अपनी-अपनी असंख्य दुरूह समस्याएँ भी हैं । ऐसे संत्रस्त एवं उथल-पुथल वाले विश्व में सामान्य जन सुख-शान्ति चाहता है | कैसी विडम्बना है ! उस पर भी ऊपर के लोग विभिन्न प्रचार-साधनों द्वारा उसे विभ्रान्त करने एवं दिशाहारा की भाँति भटकते रहने के लिए बाध्यता उत्पन्न करने की और निरन्तर
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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