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________________ आधुनिक कहानी का परिपाश्वं/८७ युग और जीवन से कथानक चुने, मध्यम वर्ग के जीर्ण जीवन का चित्रण किया, व्यक्ति के मन का विश्लेषण किया, स्त्री-पुरुष के प्रेम का चित्रण किया और आधुनिक जीवन की मानसिक और भौतिक विषमताओं से अपनी कहानियों को पूर्ण किया। पिछले लगभग बीस वर्ष की जिन महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लख आधुनिक हिन्दी उपन्यासों में हुआ है उन्हीं घटनाओं से सम्बद्ध युग-सत्य को कहानी-लेखक वाणी दे रहे हैं । आज की कहानी ने मानव मन को पहले की अपेक्षा अधिक गहराई के साथ नापकर उसे शिल्पगत नवीन रूप प्रदान किया है। इस प्रकार आज की कहानी निस्सन्देह एक सीमा तक आगे बढ़ी है। उसके विषय चयन और टेकनीक दोनों में ताज़गी है । पर प्रत्येक काल में होने वाले स्वाभाविक परिवर्तनों एवं विकास का यह अगला चरण है, उसे कोई विशेष नाम देने की आवश्यकता मेरे समझ में नहीं आती। अतः नई पीढ़ी के कहानीकारों की कहानियों को लेकर नए-पुराने के विवाद में पड़ना व्यर्थ है । प्रत्येक युग में कलात्मक अभिव्यक्ति नवीन उपादान और साधन ग्रहण करती है । प्रेमचन्द और जैनेन्द्र जब कहानी-साहित्य की रचना कर रहे थे तो उन्होंने भी युगानुकूल उपादान और साधन ग्रहण किए थे । अतः आज की नई पीढ़ी से कहानी-लेखकों की रचनाओं में भी विषयगत और शैलीगत नाविन्य मिलता है, जो किसी को कोई विवाद नहीं उठाना चाहिए । ___अभी-अभी मैंने ऊपर कहा है कि जीवन कविता के पीछे रहता है, किन्तु उपन्यास और कहानी के आगे रहता है। इसीलिए यह कहना कि कहानी आधुनिक भाव-बोध का भार वहन करने में असमर्थ है, वैज्ञानिक नहीं है। आधुनिक जीवन के विभिन्न पार्श्व आज की हिन्दी कहानियों में सरलतापूर्वक देखे जा सकते हैं। उनके पीछे देश और समाज के पिछले २५-३० वर्षों का इतिहास बोल रहा है, और बोल रहा है आधुनिक युग-बोध एवं भाव-बोध अपने अच्छे बुरे रंगों एवं विभिन्न आयामों के साथ । इतना ही नहीं उनमें आधुनिक मन को कुरेदने का
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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