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________________ ८६ / आधुनिक कहानी का परिपार्श्व के कहानी-लेखकों ने उस काल के सम्पूर्ण स्थूलत्व के साथ कहानीकला का ढाँचा प्रस्तुत किया । प्रेमचन्द, 'प्रसाद', 'सुदर्शन', कौशिक और चतुरसेन शास्त्री आदि कहानी लेखकों ने उपयोगितावादी दृष्टिकोण ग्रहण किया था । प्रेमचन्द ने आदर्शवादी - यथार्थवादी परम्परा को जन्म दिया, तो 'प्रसाद' ने आदर्शवादी और कल्पना-प्रधान परम्परा को । विभिन्न कहानी-लेखकों की शैलियों में वैविध्य अवश्य था, किन्तु सवने प्रकारान्तर से पीड़ित मानवता के प्रति सहानुभूति प्रकट की । इन कहानी - लेखकों की रचनाओं में सूक्ष्म मनोवैज्ञानिकता भी यत्र-तत्र दृष्टिगोचर हो जाती है । प्रेमचन्द के बाद जैनेन्द्र और 'अज्ञेय' जैसे कहानी लेखकों की रचनाओं में यही सूक्ष्म मनोवैज्ञानिकता अधिक प्रमुख हो जाती है । उन्होंने मध्य-वर्गीय जीवन के रहस्यपूर्ण कोनों में झांका और रहस्यपूर्ण कोनों में झाँकने के फलस्वरूप उनकी शैली में एक नया मोड़ आया । स्थूल सामाजिक यथार्थ प्रगतिवादी कहानी - लेखकों में अधिक उभरा। उन्होंने भी मध्य और निम्न वर्गों की वर्गीय परम्परा, रीति-नीति आदि ग्रहण कर अपने अनुकूल प्रसंगों की उद्भावना की । जैनेन्द्र और इलाचन्द्र जोशी को छोड़कर अन्य सभी कहानीकारों ने सामाजिक और राष्ट्रीय. विषमताओं को अधिक परखा । जैनेन्द्र की जीवन दृष्टि अधिक दार्शनिक थी । इस दिशा में 'अज्ञेय' ने प्रतीकात्मक और वातावरण-प्रधान शैली को भी जन्म दिया और वैयक्तिक स्पर्शो द्वारा हिन्दी कहानी को अधिक कोमल और मानव-संवेदनापूर्ण बनाया । मूलतः द्वितीय महायुद्ध के बाद की कहानी में कहानी की प्रकृति और परम्परा सुरक्षित रहते हुए भी, उसमें सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना व्यक्त होते हुए भी, वह अधिक सूक्ष्म हो गई है । वास्तव में प्रेमचन्द के बाद हिन्दी के कहानी लेखक रोमांसपूर्ण कहानियाँ लिखने लग गए थे । किन्तु धीरे-धीरे हिन्दी के कहानी-लेखकों ने प्रेमचन्द की 'कफ़न' कहानी का मार्ग पकड़कर यथार्थवादी और मनोवैज्ञानिक कहानियों का सर्जन किया । उन्होंने निस्संकोच वर्तमान
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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