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आधुनिक कहानी का परिपार्श्व/७१ को उन्होंने बड़ी कुशलता और अधिकार से अपनी कहानियों में उजागर किया है और उसके प्रभाव को गहरा बनाने के लिए अपनी व्यंग्य-शक्ति का बड़ी सफलता से प्रयोग किया है । वातावरण-प्रधान कहानियों में वातावरण निर्माण की क्षमता भी नागर जी ने बड़ी सफलतापूर्वक प्रदर्शित की है और सजीव तथा यथार्थ वातावरण के बारीक-से-बारीक रेशों को स्पष्ट करने में प्रौढ़ शिल्प का आश्रय लिया है।
नागर जी की मूल विचारधारा वस्तुतः सुधारवादी है और वे मानवता वाद एवं व्यापक आदर्शवाद के समर्थक हैं, पर इसके लिए उन्हें उपदेशक का मुखौटा लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ी है। उनके पास कलात्मक कौशल है, जिसके माध्यम से उन्होंने अपने उद्देश्य को बड़ी सूक्ष्मता से पूर्ण करने की चेष्टा की है। वे समाज-कल्याण की भावना से ओतप्रोत कहानीकार हैं, इसीलिए मंगल एवं सत्य के उद्घोषक हैं । उनका दृष्टिकोण भी प्रगतिशील है, पर वे यशपाल या दूसरे मार्क्सवादी लेखकों की भाँति उसके प्रचारक नहीं, वरन् प्रगतिशील विचारों को जीवन में समन्वित करने वाले कहानीकार हैं और उन्होंने जीवन में नए-पुराने का सन्तुलन स्थापित करने की चेष्टा की है, जिससे स्पष्ट है, उन्होंने सब-का-सब नया नहीं स्वीकार किया है और न सम्पूर्ण पुराना ही स्वीकार है । उन्होंने दोनों ही स्थितियों की उपयोगी बातों को स्वीकार कर उनके समन्वित रूप में ही अपनी प्रगतिशील विचारधारा का निर्माण करने का प्रयत्न किया है। - रांगेय राघव की असामयिक मृत्यु से हिन्दी का एक तरुण प्रतिभाशाली लेखक छिन गया । वे एक प्रगतिशील कहानीकार थे, पर मार्क्सवादी नहीं । वे प्रगतिशीलता के सूत्र भारतीय परम्पराओं में ही खोजना चाहते थे और स्थानीय संस्कृति तथा यहाँ की जीवन-पद्धतियों के अनुरूप उसका स्वरूप निर्मित करना चाहते थे। उन्होंने मार्क्सवाद के तथाकथित प्रचारकों को अपनी कई भूमिकाओं और लेखों में कोसा है और उन पर कठोर प्रहार किए हैं । वास्तव में वे सच्चे अर्थों में भारतीय