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________________ ७० आधुनिक कहानी का परिपार्श्व कहानीकार भीम साहनी, अमरकान्त और सुरेश सिनहा हैं । यद्यपि ये तीनों ही कथाकार प्रगतिशीलता की दृष्टि से प्रेमचन्द के अधिक निकट हैं और यशपाल की भाँति रुढ़ अर्थों में मार्क्सवादी नहीं हैं, पर दृष्टि का जहाँ तक प्रश्न है, उन पर यशपाल ने भी गहरा प्रभाव डाला है । भीष्म साहनी की 'चीफ़ की दावत', अमरकान्त की 'हत्यारे' तथा सुरेश सिनहा की 'नया जन्म' कहानियाँ इसी मिश्रित परम्परा की देन हैं, जिनमें नए कथ्य का होना स्वाभाविक ही है, पर वे उस मिश्रित परम्परा का विद्रोह तो निश्चित रूप से नहीं ही हैं। __ अमृतलाल नागर की कहानियाँ भी यथार्थ जीवन को लेकर लिखी गई हैं, जिनमें उनकी सजग सामाजिक चेतना और सूक्ष्य अन्तदृष्टि का परिचय मिलता है । 'लंगूरा', 'जुएँ' आदि कहानियों में यथार्थ की पकड़ और युगीन भाव-बोध को समझने की उनकी अद्भुत क्षमता का परिचय प्राप्त होता है । नागर जी की कहानियाँ शास्त्रीय अर्थों में ही देखी जाएँगी । उनमें ठोस कथानक प्राप्त होता है, नाटकीय ढंग से चरित्रचित्रण की प्रवृत्ति मिलती है और यथार्थ जीवन से पात्रों को लेकर किसी विशेष संदेश का वाहक बनाने की प्रयत्नशीलता लक्षित होती है। . नागर जी की कहानियाँ मुख्यतया दो वर्गों में आती हैं-घटना-प्रधान कहानियाँ और वातावरण-प्रधान कहानियाँ । घटनाओं का संगुफन करने में उनकी दृष्टि चरमोत्कर्ष को अधिक-से-अधिक नाटकीय और सनसनीखेज बनाने के प्रति अधिक रहती है, पर इस प्रक्रिया में कहानी की स्वाभाविकता को दृष्टि से ओझल नहीं कर देते, वरन् यथार्थ को साथसाथ लेकर चलते हैं । वास्तव में यह एक कठिन कार्य है और बहुत प्रौढ़ शिल्प की माँग है, जिसे नागर जी ने बड़ी दक्षता के साथ निबाहा हैं, इसमें कोई सन्देह नहीं । उनमें कथा कहने की प्रतिभा खूब है और व्यंग्य की पैनी शक्ति है। उनकी कहानियों का मूलाधार भी मध्यवर्गीय जीवन है और मध्यवर्ग में व्याप्त रूढ़ियों, अन्ध-विश्वासों, मिथ्या दम्भ एवं अहंकार, दिखावे की प्रवृत्ति आदि विभिन्न समस्याओं की मूल बातों
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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