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________________ ६८ आधुनिक कहानी का परिपार्श्व है । उन्होंने यह भी कहा है कि समाज में नारी को उसके व्यक्तिगत नाम से पुकारना उसका अपमान है । उसके जीवन का उद्देश्य पति को रिझाना और सन्तान का पालन करना है। विवाह में भी उसका दान किया जाता है । यशपाल की इस धारणा से पूर्णतः सहमत होना कठिन है । व्यवहार में लोगों का चाहे जो भी आचरण रहा हो, सिद्धान्ततः भारतीय समाज और परम्परा में नारी हमेशा श्रद्धा की पात्री रही है और उसे उचित सम्मान प्रदान किया जाता रहा है । धार्मिक काल से आज तक नारी मात्र विलास की सामग्री नहीं समझी गई, वरन् मातृत्व का दायित्व वहन करने वाली गौरवशालिनी नारी समझी जाती है । यदि उसकी कोई दुर्गति हुई भी है या हो रही है तो वह आधुनिकता या फैशनपरस्ती के नाम पर आकर या तो स्वयं नारी ही कर रही है, या पुरुष वर्ग की स्वार्थपरता। मार्स की विचारधारा का यह अभिप्राय नहीं है कि वह प्रत्येक देश में बिना वहाँ की स्थानीय परम्पराओं, संस्कृति अथवा जीवन-पद्धतियों का ध्यान रखे ज्यों-का-त्यों स्वीकार लिया जाए। यशपाल की कहिनाई यही है की उन्होंने मार्क्सवाद को बड़े रूढ़ अर्थों में स्वीकारा है और इस बात का कभी ध्यान नहीं रखा है कि उसका समन्वय भारतीय जीवन-पद्धति, यहाँ की प्राचीन संस्कृति की गौरवशाली परम्परओं से किस प्रकार किया जा सकता है । उन्होंने बस उसे ज्यों-का-त्यों स्वीकार कर यहाँ लागू करने की चेष्टा की है, इसीलिए साहित्य उनके लिए मुख्यतया सिद्धान्त-प्रतिपादन और मार्क्सवाद का विश्लेषण करने का साधन है। उनकी अधिकांश कहानियाँ अस्वाभा विक, नीरस और बोझिल इसीलिए प्रतीत होती है, क्योंकि उनमें घटनाओं का संगुफन ही सायास ढंग से इस विश्लेषण के लिए किया गया है। ___यशपाल प्रगतिशीलता के पक्षपाती हैं । उनके मत से प्रगतिशील साहित्य का काम समाज के विकास के मार्ग में आने वाली अन्धविश्वास, रुढ़िवाद की अड़चनों को दूर करना है, समाज को शोषण के बन्धनों से मुक्त करना है। कार्यक्रम में प्रगतिशील क्रान्तिकारी सर्वहारा श्रेणी का
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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