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________________ ६०/आधुनिक कहानी का परिपार्श्व वरण से पूर्ण कथानक की मृप्टि कर अनुपम सौन्दर्य उपस्थित किया है। उनके पात्रों में स्वतन्त्रता है । लेखक ने उनके मनोभावों को समझने की चेप्टा की है। उनमें अद्भुत वर्णन-शक्ति है । तद्भव शब्दों, मुहावरों, व्यावहारिकता आदि गुणों से सम्पन्न उनकी भाषा उनके कथोपकथनों में जान डाल देती है । 'अक्षत', 'रजकण', 'दे खुदा की राह पर', 'दुखवा मैं कासे कहूँ मोरी सजनी', "भिक्षुराज' तथा 'ककड़ी की कीमत' उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं । उनकी ऐतिहासिक कहानियों का एक प्रसिद्ध संग्रह 'सिंहगढ़ विजय' है। इस प्रकार शास्त्री जी की कहानियों के दो प्रमुख वर्ग है-सामाजिक कहानियाँ और ऐतिहासिक कहानियाँ । सामाजिक कहानियों में उन्होंने जीवन का यथार्थ चित्रित करने की चेष्टा है। सामाजिक विकृतियों, फ़ैशन और विलास तथा नारी के अधःपतन से उन्हें बड़ी चिढ़ थी और इसे उन्होंने अपनी कई कहानियों का आधार बनाया था। पुरुषों के कुपथगामी होने और समाज के नैतिक ह्रास भी उनकी कहानियों में चित्रित हुए हैं। इन कहानियों में सामाजिक विसंगतियों पर उनका इतना अधिक आक्रोश प्रकट हुआ है कि उनका यथार्थ वर्णन कहीं-कहीं बहुत अतिरंजित हो गया है और उच्छङ्खलता तथा असंयमित एवं अमर्यादित स्थितियों का चित्रण करने में उन्होंने कोई विभाजन-रेखा नहीं खींची है । इस दृष्टि से वे 'उग्र' के अधिक निकट हैं । इस यथार्थवादी चित्रण के कारण उन्हें 'उग्र' की ही भाँति आक्षेपों का शिकार बनना पड़ा था । कला का सौन्दर्य-पक्ष उपेक्षणीय हो जाने के कारण ये कहानियाँ बहुत संतुलित नहीं हैं। उनकी कहानियों का दूसरा वर्ग ऐतिहासिक कहानियों का है, जो उनकी सफल कहानियाँ हैं। उन्होंने महामानव का निर्माण करना अपनी कला का लक्ष्य बनाया था, क्योंकि उनकी धारणा थी कि साहित्य कला का चरम विकास है और समाज का मेरुदण्ड । धर्म और राजनीति का वह प्राण है, इसलिए इसमें दो गुण होने अनिवार्य हैं । एक यह कि वह आधुनिकता का प्रतिनिधित्व करे और दूसरे वह मानवता का धरातल
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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