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________________ आधुनिक कहानी का परिपार्श्व/५६ लिया है और नाटकीयता लाने की भरसक चेष्टा की है। इसी समय जैनेन्द्र जी ने लिखना प्रारम्भ कर दिया था और उनकी कला की बड़ी धूम मची हुई थी। जैनेन्द्र जी का बाजपेयी जी पर यथेष्ट प्रभाव लक्षित किया जा सकता है, यद्यपि उनमें जैनेन्द्रजी जैसी कलात्मक प्रौढ़ता या शिल्प-कौशल लक्षित नहीं होता, पर अपनी बाद की कहानियों में वे उनके अधिक निकट हैं। इसी प्रसंग में यह उल्लेख करना अप्रासंगिक न होगा कि सांकेतिकता, अमूर्तता और बौद्धिकता का आग्रह जैसे गुणों को आज की कहानी ने भी अपनाया है और उसे 'नए' के नाम पर स्वीकारा है, पर ऐतिहासिक सन्दर्भ में यह बात अपने आप ग़लत और भ्रामक सिद्ध हो जाती है। इन प्रवृत्तियों को बहुत पहले ही अज्ञेय, जैनेन्द्र कुमार, बाजपेयी जी आदि अनेकानेक कहानीकारों ने अपनाया था और इस शैली में अनेक सुन्दर कहानियाँ लिखी थीं। इस सन्दर्भ में मोहन राकेश की 'पाँचवे माले का फ़्लैट', कमलेश्वर की 'ऊपर उठता हुआ मकान', नरेश मेहता की 'तथापि', राजेन्द्र यादव की 'छोटे-छोटे ताजमहल', उषा प्रियंवदा की 'मछलियाँ', निर्मल वर्मा की 'परिंदे', मन्नू भण्डारी की . 'तीसरा आदमी', सुरेश सिनहा की 'टकराता हुआ आकाश', रवीन्द्र कालिया की 'क ख ग' आदि कहानियां देखी जा सकती हैं । इसमें कोई सन्देह नहीं कि इन कहानियों के कथ्य नए हैं, जो समय के परिवर्तित परिप्रेक्ष्य में स्वाभाविक ही नहीं अनिवार्य भी था, पर उनकी सांकेतिकता कथानकहीनता, अमूर्तता, बौद्धिकता का आग्रह आदि प्रवृत्तियाँ 'नई' नहीं हैं, उन्हें जैनेन्द्र कुमार, अज्ञेय, इलाचन्द्र जोशी और भगवतीप्रसाद बाजपेयी आदि कहानीकार पहले ही अपना चुके थे। चतुरसेन शास्त्री भी हिन्दी के पुराने कहानी-लेखक हैं और उन्होंने अनेक कहानियाँ समाज की जीर्णशीर्ण अवस्था को प्रकाश में लाने के लिए लिखीं। उनकी कहानियाँ छोटी, आकर्षक, कुतूहलपूर्ण, हृदय को गुदगुदाने वाली और मानव हृदय के रहस्यों का उद्घाटन करने वाली होती हैं । उन्होंने ऐतिहासिक कहानियाँ भी लिखी हैं और उनमें वाता
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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