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________________ ४४ / अाधुनिक कहानी का परिपार्श्व वर्ग है और सन्तान न होने, पारिवारिक अशांति, सम्मिलित कुटुम्ब - प्रथा आदि के विघटन, सामंती मनोवृत्ति एवं आर्थिक वैषम्य की समस्याएँ प्रमुख रुप से इन कहानियों में चित्रित हुई हैं । 'कौशिक' का शिल्प भी सीधा-सादा और सहज है । उन्होंने अधिकतर इकतरफ़े शिल्प का ही प्रयोग किया है, हालाँकि उनकी भी अधिकांश कहानियाँ वर्णनात्मक शैली में हैं । 'कौशिक' को मानव मनोविज्ञान का भी अच्छा परिचय था और अपनी कहानियों में उन्होंने अनेक पात्रों के चरित्र में सूक्ष्म मानवमनोविज्ञान के आधार पर ही चरित्र परिवर्तन करने की चेष्टा की है । यह प्रयत्नशीलता उनकी 'ताई' श्रादि चरित्र - प्रधान कहानियों में अधिक मिलती है, जिनमें उन्होंने प्रभावपूर्ण और मनोवैज्ञानिक ढंग से चरमपरिवर्तन उपस्थित किया है । उनके पात्र मध्य वर्ग के हैं और उनमें यथार्थ प्रवृत्तियों का समावेश कुशलता से किया गया है । उनकी आन्तरिक प्रवृत्तियों को स्पष्ट करने का आग्रह तो उनमें मिलता ही है, उनके वाह्य व्यक्तित्व को भी सूक्ष्मता से उभारने की चेष्टा की गई है और दोनों का सामंजस्य स्थापित करने में उन्हें पूर्ण सफलता प्राप्त हुई है । अधिकांशतः उन्होंने कुरीतियों एवं कुप्रथाओं का चित्रण ही अपनी कहानियों में किया है और सामाजिक विकृतियों एवं मानव की विकृत भावनाओं तथा दुर्गुणों का सूक्ष्म अध्ययन कर बड़ी कुशलता से अभिव्यक्ति प्रदान की हैं । इसीलिए ये कहानियाँ विराट सामूहिक भावना को लिए हुए हैं । 'कौशिक' की कहानियों के पात्र ऐसे चरित्रों का सूक्ष्म उद्घाटन करते हैं जो मानवी होते हुए भी एकदम नवीन प्रतीत होते हैं । कथोपकथनों द्वारा वे पात्रों की मानसिक परिस्थितियों पर अच्छा प्रकाश डालते हैं और मानव संवेगों को स्पष्ट करने में सफल होते हैं । उनके कथोपकथन संक्षिप्त, स्वाभाविक और भावों के अनुकूल होते हैं । उनमें हास्य-व्यंग्य की प्रवृत्ति तथा चुटीलापन तो है ही, पात्रों के व्यक्तित्व से उनका समन्वय स्थापित करने में भी वे सफल रहे हैं । भाषा उनकी साफ़-सुथरी
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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