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आधुनिक कहानी का परिपार्श्व / ४३
समाज-कल्याण की भावना में ही उनकी गहन आस्था है । उन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से नैतिकता एवं जीवनगत मूल्य मर्यादासम्बन्धी अनेक मौलिक प्रश्न उठाए और उनका समाधान प्रस्तुत करने की चेष्टा भी की । उन्होंने अधिकांश रूप में घटना प्रधान कहानियाँ लिखी हैं और वे घटनाएँ दैनिक सामाजिक या पारिवारिक जीवन से ली गई हैं। इन घटनाओं का संगुफन करने में उन्होंने अभूतपूर्व क्षमता का परिचय दिया है और चरमोत्कर्ष के बिन्दु तक पँहुचने की प्रक्रिया में रोचकता एवं कुतूहल बनाए रखने और सहजता तथा स्वाभाविकता की रक्षा करने में भी उन्हें अपार सफलता प्राप्त हुई है । वस्तुतः 'कौशिक' ने अपनी कहानियों में घटनाओं की अवतारणा एक विशेष उद्देश्य से की है और उनके माध्यम से जीवन के विविध रंगों का यथार्थ परिचय देने का प्रयास किया है । यद्यपि कई कहानियों में ये घटनाएं ऊपर से आरोपित, फलस्वरूप सारी कहानी को असंतुलित बनाते हुए उनके प्रभाव को शून्य करती हुई प्रतीत होती है, पर अधिकांश रूप में अपने उद्देश्य को सशक्तता से स्पष्ट करने में वे सफल रहे हैं ।
इस युग के दूसरे कहानीकारों की भाँति सामाजिक एवं पारिवारिक समस्याओं से कौशिक का अच्छा परिचय था और सूक्ष्म अन्तर्दृष्टि से उनका यथार्थ चित्ररण करने में उन्हें सफलता प्राप्त हुई है । पारिवारिक जीवन के उन्होंने अनेक सुन्दर चित्र उपस्थित किए हैं, जिनमें बड़ी मार्मिकता एवं प्रभावशीलता है । 'कौशिक' को पाठकों का हृदय स्पर्श करने में कुशलता प्राप्त थी और वे बड़ी सूक्ष्मता से ऐसी घटनाएँ एवं प्रसंग उठाते थे जिनसे वे मर्मस्पर्शिता की उद्भावना कर सकें इसलिए उनकी कहानियों में मानवीय संवेदनशीलता का आग्रह अधिक प्राप्त होता है । उनकी कहानियों में भी मध्य वर्ग को ही प्रधानता मिली है और मध्यवर्गीय जीवन की बहु-विधिय समस्याओं को यथार्थता के साथ उभारने की चेष्टा मिलती है । पर यह मध्य वर्ग प्रेमचन्द की कहानियों की भाँति अधिकांशतः निम्न-मध्य वर्ग नहीं है, वरन् मध्य