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________________ PRAPTURER आधुनिक कहानी का परिपार्श्व/३६. समस्याएँ हैं जिन पर प्रेमचन्द की कहानियाँ आधारित हैं। इससे स्पष्ट है कि प्रेमचन्द ने जीवन के बहुविधिय पक्ष स्पर्श किए और कदाचित् तत्कलीन मध्यवर्गीय जीवन का ऐसा कोई पक्ष नहीं था जिसे उन्होंने स्पर्श न किया हो । उनकी कहानियों का वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता है : १-मनोवैज्ञानिक कहानियाँ ( 'कफ़न', 'पूस की रात', 'बड़े भाई साहब' और 'मनोवृत्ति' आदि कहानियाँ ) २-सामाजिक कहानियाँ ( 'पंच-परमेश्वर', 'बैंक का दिवाला', 'दुर्गा का मन्दिर', आदि असंख्य कहानियाँ ), ३-चरित्र-प्रधान कहानियाँ ( 'बूढ़ी काकी', 'दो बहनें' आदि कहानियाँ) ४-ऐतिहासिक कहानियाँ ( 'रानी सारंधा', 'राजा हरदौल', 'शतरंज के खिलाड़ी' आदि कहानियाँ ) ५-राजनीतिक कहानियाँ ('सत्याग्रह' तथा ऐसी अन्य कहानियाँ) ६-पारिवारिक कहानियाँ ( 'बड़े घर की बेटी' ) प्रेमचन्द कभी शिल्प-चमत्कार के चक्कर में नहीं पड़े। उनके पास कहने के लिए सीधी-सादी यथार्थ बातें थीं, जिन्हें गढ़ने या काल्पनिकता को यथार्थ का रंग देने के सायासपन की कोई आवश्यकता न थी। उनके पास जीवन-तत्त्वों की भरमार थी जिन्हें यथार्थ की वाणी देना उनका काम था। जिनके पास कहने को कुछ नहीं होता, वस्तुत: गढने या यथार्थता का आभास दिलाने की दिशा में पच्चीकारी की आवश्यकता उन्हें ही होती है। उन्होंने बहुत ही सहज एवं स्वाभाविक ढंग से अपनी बातें कहने की चेष्टा की है। हाँ, यह स्मरण रखना आवश्यक है, जब तक उनके मस्तिष्क में आदर्श और यथार्थ की दो अलग-अलग धाराएँ क्रियाशील थीं और आदर्शवाद के प्रति उनकी गहन् आस्था थी, तब तक उनकी कहानियों में अन्त तक पहुँचते-पहुँचते अस्वाभाविक मोड़ देने की प्रवृत्ति और यांत्रिक आदर्शवाद की प्रतिष्ठापना की अतिशय उत्सुकता परिलक्षित
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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