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३४/आधुनिक कहानी का परिपार्श्व कथा साहित्य वस्तुतः सुधारवादी प्रवृत्ति लेकर ही आया । कथाकारों ने नैतिक एवं शिक्षाप्रद कथा-कृतियों की रचना की जिनमें सामाजिकगार्हस्थ्य आदि जीवन क्षेत्रों से सम्बन्धित शिक्षा और नीति से परिपूर्ण भावनाओं का समावेश प्राप्त होता है। उनसे सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक विषयों पर भी प्रकाश पड़ता है। गुरण-दोषों का ठीक-ठीक विवेचन करना और कठोर नैतिक अनुशासन और जीवन को उन्नति के मार्ग पर ले चलना, इन कृतियों का अन्तिम ध्येय है । किन्तु इन रचनाओं में कलापक्ष कुछ कमजोर है। इस युग के लेखक जनता को अधोगति के गर्त से निकालकर उसे उचित मार्ग पर लाना चाहते थे, नैतिकता और शिक्षा के अतिरिक्त उनमें प्रेम-तत्व भी प्रमुख है। उनमें अधिकांशतः सत्य का अनुसरण करने का प्रयत्न किया गया है। उनसे समाज-सुधार, जातीय गौरव की रक्षा, ऐतिहासिक सत्य, दर्शन और मानवता को प्रश्रय प्राप्त होता है। उसका अधिक विकास प्रेमचन्द के हाथों हुआ
और उनके आने के साथ ही कहानी विधा को प्राणतत्व ही नहीं प्राप्त हुआ, सुनिश्चित दिशा भी उपलब्ध हुई।