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२६ / आधुनिक कहानी का परिपार्श्व
अन्य सभी परिवर्तन इसी मध्य वर्ग के कारण हुए । उच्च वर्ग नवीन प्रभावों से अलग कट्टर और अपरिवर्तनशील था । उन्हें नवीन शिक्षा देने की न तो शासकों की ( राजनीतिक दृष्टि से ) नीति थी और न उन्होंने स्वयं उसके प्रति रुचि प्रकट की । निम्न वर्ग निर्धन और प्रशिक्षित था । अस्तु वकील, डॉक्टर, अध्यापक, साधारण हैसियत के व्यापारी, सरकारी नौकरों आदि का ही एक वर्ग ऐसा था, जो नवशिक्षा ग्रहण कर पाश्चात्य सभ्यता के अधिक-से-अधिक सम्पर्क में आया था । इसलिए यही वर्ग नव चेतना से सर्वाधिक प्रभावित था । नवीन विचारों से प्रेरित होकर मध्य वर्ग ने भारतीय जीवन में अभूतपूर्व क्रन्तिकारी परिवर्तन उपस्थित किए । इसी वर्ग के माध्यय द्वारा भारत आधुनिकता की ओर अग्रसर होकर संसार के अन्य देशों से सम्पर्क स्थापित कर सका है । उन्नीसवीं शताब्दी उत्तरार्द्ध में इस वर्ग की चेतना का जन्म प्रधानतः राजनीतिक और आर्थिक रूप में हुआ था । नवोत्थानकालीन होने के कारण इस वर्ग की राजनीतिक राष्ट्रीयता बहुत कुछ हिन्दुत्व लिए हुए थी और 'हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्थान' उसके मुख्य शब्द थे। साथ ही वर्ग, धर्म एवं साम्प्रदायिक विषयों से सम्बन्ध रखने वाली एक दूसरी राजनीतिक विचारधारा थीं जिसने सम्प्रदायिक निर्वाचन, सरकारी नौकरियों, आर्थिक रियायतों आदि की माँगों को जन्म दिया। दोनों विचारधाराएँ तत्कालीन भारत में प्रच लित थीं और कहीं-कहीं आपस में एक-दूसरे को छूकर फिर अलग हो जाती थीं । किन्तु राजनीति के निराशा और अन्धकारपूर्ण वातावरण में यह वर्ग धार्मिक और सामाजिक विषयों की ओर अधिक झुका- क्यों कि एक ओर से निराश होने पर जीवन शून्य में स्थित नहीं रह सकता था, उसे किसी-न-किसी सांस्कृतिक आधार की आवश्यकता थी । धर्म तथा समाज के अतिरिक्त उसकी प्रान्तरिक सन्तुष्टि का और कोई साधन न रह गया था । इससे न तो सरकार को किसी का डर था और न किसी को सरकार का डर था । नवोदित राष्ट्रीयता वैसे भी देश के प्राचीन गौरव की अपेक्षा रखती है । उसने इस्लामी और भारतीय सभ्यताओं के