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________________ आधुनिक कहानी का परिपार्श्व/२५ ने ऐसी नृशंस रीतियाँ रोकने का प्रयत्न किया, पर अब स्वयं हिन्दू समाज सुधारों के लिए प्रयत्नशील था। स्थान-स्थान पर सार्वजनिक सभाएं की जाने लगीं जिनमें सती-दाह, बाल-हत्या, नर-बलि, बालविवाह, विवाह मे फिजूलखर्च, मद्यपान, वेश्यावृत्ति आदि के विरोध में प्रस्ताव स्वीकार किए जाते थे। सरकार की हस्तक्षेप नीति केवल दोचार अमानुषी प्रथाओं तक ही बरती गई। गम्भीर धार्मिक विषयों में 'वह उदासीनता ग्रहण किए रही । इस नवजात चेतना के कारण हिन्दू धर्म की उन्नति और उस में विश्वश्रेष्ठ आत्मगरिमा पुनर्जीवित करने के लिए अनेक महान व्यक्ति अपना जीवन उत्सर्ग करने लगे । इसके पश्चात् स्वातंत्र्योत्तर काल में एक बहुत बड़े वर्ग में हमें धर्म के प्रति उदासीनता लक्षित होती है । यद्यपि दो-एक राजनीतिक दलों एवं आन्दोलनों ने पुनः एक बार आर्य धर्म एवं हिन्दू धर्म का प्रचार-प्रसार करने का प्रयत्न किया, पर इसमें उन्हें विशेष सफलता प्राप्त नहीं हुई । वास्तव में इस काल में राष्ट्रीय नेताओं द्वारा प्रचलित धर्म निरपेक्षता की नीति का इतना प्रभाव तो पड़ा ही कि हिन्दू और इस्लाम दोनों ही 'धर्मों में धर्मान्धता या कट्टरता के प्रति अनुदार भावना विकसित होने लगी है और उसके स्थान पर एक सार्वजनीन भावना एवं मानवतावादी दृष्टिकोण विकसित हो रहा है। इससे समाज का परम्परागत धार्मिक ढाँचा एक प्रकार से ढह रहा है और जिस नए समाज का उदय हो रहा है उसमें विश्व-बंधुत्व एवं एकीकरण की भावना का आधिक्य है । अभी हाल ही में ५ अगस्त, १९६५ से प्रारम्भ हुए पाकिस्तानी अाक्रमण के समय इसका ठोस आधार अधिक स्पष्ट हुअा है, जब कि पाकिस्तान में अभी मध्ययुगीन संस्कृति' एवं धार्मिक मदांधता को प्रचलित रखने की जी-तोड़ कोशिशें हो रही हैं । - अँगरेज़ी राज्य के अन्तर्गत शासन तथा आर्थिक व्यवस्था और नवशिक्षा के कारण जहाँ अनेक परिवर्तन हुए, वहाँ सबसे बड़ा परिवर्तन भारत की सामाजिक व्यवस्था में मध्य वर्ग का जन्म होना था-एक प्रकार से
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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