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________________ २२,'आधुनिक कहानी का परिपार्श्व कहा जा सकता कि वह देश के लिए सर्वथा घातक सिद्ध हुई, या उसका कोई महत्त्वपूर्ण परिणाम ही नहीं हुआ। बुराइयाँ होते हुए भी भारतवासियों ने नवीन शिक्षा प्रणाली के साथ पूरा सहयोग प्रकट किया। उसके सहारे ही वे समय की प्रगति के साथ आगे बढ़ सकते थे। पाश्चात्य विज्ञान और साहित्य तथा इतिहास के अध्ययन से देश की सामाजिक और धार्मिक अवस्था में बहुत-कुछ सुधार हुआ, नए-नए विचारों और राष्ट्रीयता का प्रचार हुआ, देश की राजनीतिक एवं नैतिक उदासीनता दूर हुई और वह उद्योग-धन्धों में दिलचस्पी लेकर आगे बढ़ा । भारतवर्ष का उस विज्ञान से परिचय हुआ जिसने पश्चिम में प्रौद्योगिक क्रान्ति की अवतारणा की थी और एशिया तथा अफ्रीका के महाद्वीपों पर साम्राज्यवाद का अंकुश विठा दिया था । विज्ञान के अतिरिक्त बर्क, मिल, मौर्ले, स्पेंसर तथा मिल्टन आदि पाश्चात्य विचारकों का भी उन पर प्रभाव पड़ा। मिल के विचारों ने स्त्रियों की स्वाधीनता और प्रतिनिथि शासन की ओर शिक्षितों का ध्यान आकृष्ट किया। पश्चिम के विचारकों की रचनाओं में उनकी श्रद्धा प्रतिदिन बढ़ती गई। इंगलैण्ड और भारत के बीच आने-जाने की सुगमता हो जाने से पश्चिम के विचारकों और तत्कालीन इँगलैण्ड के विक्टोरियन सामाजिक आचार-विचारों और राजनीतिक आकांक्षाओं का देश पर प्रभाव पड़े विना न रह सका। पश्चिमी प्रभाव के कारण देशवासियों का दृष्टिकोण व्यापक हुआ, उनके जीवन के प्रत्येक पहलू में नई स्फूर्ति और उत्तेजना पैदा हुई । नव-शिक्षितों में भी दो दल थे । एक दल तो वह था जिसे पश्चिम ने बिल्कुल मोह लिया था। दूसरा दल वह था, जो अँगरेज़ी शिक्षा प्राप्त करने पर भी भारतीयत्व बनाए रखना चाहता था। कहना न होगा कि हिन्दी साहित्यिकों का सम्बन्ध दूसरे दल से था। भारतीयत्व की उमंग में कभी-कभी उनका प्रतिक्रियावादी' विचारों का पोषक हो जाना सम्भव था। किन्तु पश्चिम से मोहित अतिवादी सुधारकों की अपेक्षा समाज में उनका स्थान कही अधिक सहज-स्वाभाविक था। सारांश यह
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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