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आधुनिक कहानी का परिपार्श्व / १५१
एवं आधुनिकता का समष्टिगत आधार उन्हें उस नए धरातल पर प्रतिष्ठित करता है, जहाँ उनकी कहानियों में नए मानव मूल्यों, सम्बन्धों एवं प्रगतिशील मानदण्डों की स्थापना की चेष्टा विकसित होती है । उनकी कहानियों में यथार्थ के नये धरातल का उद्घाटन है, नवीन मूल्यों की स्थापनाएँ हैं और विकृतियों एवं असंगतियों का निर्वैयक्तिक, पर प्रभावशाली, चित्ररण है । उनकी प्रत्येक कहानी मन में एक नया विश्वास जगाती है और एक अपूर्व जिजीविषा से प्रेरित करती है । सुरेश सिनहा की स्वाभाविक प्रवृत्ति नएपन की ओर रही है, पर इसे बहुत सहजता एवं सम्प्रेषित ढंग से प्रस्तुत करने की उनकी सफल चेष्टा रही है
सुरेश सिन्हा की कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता पात्रों का निर्वाह है । वे पात्रों को विभिन्न परिस्थितियों में डालकर उनकी सूक्ष्म से-सूक्ष्म प्रतिक्रियाओं का विश्वसनीय ( Genuine ) चित्रण करते हैं । इधर की 'कई कुहरे', 'मृत्यु और...', 'उदासी के टुकड़े' आदि कहानियों के सन्दर्भ में यह तथ्य स्पष्ट होता है । इन पात्रों को उनकी पूर्ण सहानुभूति तो प्राप्त हुई हैं, पर उससे बड़ी बात पात्रों को उनके यथार्थं परिवेश में समेटने की प्रयत्नशीलता लक्षित होती है, जिनमें युगीन बोध, भाव-विचार और कलात्मक सौष्ठव के साथ जीवन की विराटता का बोध लक्षित होता है । मानव सम्बन्धों की गरिमा की और सुरेश सिनहा का विशेष ध्यान रहा है और उन्होंने प्रसन्तुलन में सन्तुलन स्थापित करने की सफल चेष्टा की है - यही उन्हें उनकी पीढ़ी और परम्परा में विशिष्ट स्थान प्रदान करती है । समकालीन जीवन-पद्धति से प्रसूत आधुनिकता के विभिन्न उनके व्यापक सन्दर्भों में मानव की मर्यादा एवं व्यक्ति की निष्ठा का प्रकाशन सुरेश सिनहा की कहानियों का वैशिष्ट्य है । व्यक्ति की गरिमा एवं महिमा के साथ आधुनिक जीवन की नई संक्रान्ति की पहचान उनकी इधर की कहानियों में देखने योग्य है ।
सूत्रों को समेट कर