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________________ १५०/आधुनिक कहानी का परिपार्श्व या तो कुछ कहने के पूर्व वे बालों को झटका देंगे, साड़ी के पल्लू के छल्ले बनाएँगे, टाई की नांट ढीली या तंग करेंगे या और न सही बारबार चाय या कॉफ़ी में चम्मच डालकर ही हिलाएँगे । कहीं-कहीं तो ये क्रिया-कलाप उस समय पात्रों की किसी विशेष मनःस्थिति को स्पष्ट करने में सफल होते हैं, पर प्रायः वे निरर्थक ही प्रतीत होते हैं और कोई प्रभाव डालने में असमर्थ रहते हैं। 'कील और कसक' तथा 'ईसा के घर इंसान' उनकी उपलब्धियाँ हैं। सुरेश सिनहा (१८ अगस्त, १९४०) प्रमुखतः प्रगतिशील कथाकार हैं । आज की जिस विषम संक्रान्ति में हम जी रहे हैं, युगीन चेतना जिस प्रकार नई दिशाएँ ग्रहण कर रही है, निर्माण एवं विकास के खोखले स्वरों के पीछे जिस प्रकार आर्थिक शोषण हो रहा है, फलस्वरूप निम्न-मध्य वर्ग में जो कटुता, रिक्तता और दूरियाँ व्याप्त हो रही हैं, उन्हें अपनी कहानियों में यथार्थ ढंग से प्रस्तुत करने में सुरेश सिनहा को बड़ी सफलता मिली है। जिस प्रकार पिछले दशक में अमरकान्त प्रेमचन्द की परम्परा का ईमानदारी से निर्वाह करने का प्रयत्न कर रहे थे, उसी प्रकार इस दशक में सुरेश सिनहा ने प्रेमचन्द की यथार्थ-परम्परा का पूर्ण ईमानदारी से निर्वाह किया है और बदले हुए कश्य एवं कथन को लेकर उसी मानवीय संवेदनशीलता, यथार्थपरक परिवेश में मानव-मूल्यों को पहचानने तथा चित्रित करने की क्षमता एवं विराट जीवन-बोध को यथार्थ तथा सहानुभूतिपरक संस्पर्श देने की प्रयत्नशीलता प्रकट की है। आधुनिक जीवन के खोखलेपन, कृत्रिमता एवं अजनबीपन, नगरीय जीवन का मृत परिवेश और हास्यास्पद जीवन मूल्यों की भी उन्होंने अत्यन्त सूक्ष्म अन्तर्दष्टि के साथ प्रस्तुत किया है । सजग सामाजिक चेतना और आस्था ने जीवन जी सकने की क्षमता और वातावरण से ऊपर उठ सकने की समर्थता ही उन्हें प्रदान की है, कुण्ठा एवं निराशा नहीं। उनकी कहानियों में यही निष्ठा एवं संकल्प सशक्तता से अभिव्यक्ता हुआ है । नव-मानवतावाद
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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