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________________ १४६/आधुनिक कहानी का प रिपार्श्व मानवीय संवेदनाशीलता के कारण उन्हें प्रारम्भ में सफलता मिली थी, उसे अब मैनरिज़म बनाकर प्रयुक्त करने की प्रवृत्ति लक्षित होती है। उपन्यासों के क्षेत्र में यदि 'जुलूस' या 'दीर्घतपा' उनकी कला का ह्रास दर्शाता है, तो कहानियों के क्षेत्र में इधर की लिखी गई उनकी सभी कहानियाँ उसी पथ का अनुगमन करती प्रतीत होती हैं । अतः रेण को प्रेमचन्द के समकक्ष सिद्ध करने की चेष्टा समुद्र न देखे हुए व्यक्ति द्वारा तालाब को ही समुद्र मानकर विश्वास कर लेने के समान ही होगा । वैसे इसमें कोई सन्देह नहीं की रेणु के पास शिल्प है, जीवन-दृष्टि है, रस उत्पन्न करने और यथार्थ को सशक्त अभिव्यक्त देने की समर्थता है, पर जाने क्यों 'ठुमरी' के प्रकाशन के पश्चात् उन्हें अपनी इस यथार्थता के प्रति विश्वास नहीं रहा और वे भी अब फ़ैसन और फ़ॉर्मूले के चक्कर में पड़ गए हैं और 'आधुनिकता' को चित्रित करने के लिए आकुल हैं ('टेबुल' कहानी प्रमाण है)। पर इस प्रक्रिया में उनकी कला और समर्थता निरन्तर क्षीण हो रही है, यह भी सत्य है। रेण यह क्यों भूल जाते हैं कि 'ठुमरी' की कहानियों में एक विशेष अंचल का चित्रण करते समय जीवन के परिवतनों के जिन बारीक-से-बारीक रेशों को . उन्होंने यथार्थ ढंग से मुखरित किया है, यह आधुनिकता नहीं तो और क्या है । आधुनिकता पोश होटलों, नगरों, रेडियोग्राम, ग्लासटैक, स्लीवलेस ब्लॉउज़ों और लग्जरी कारों आदि तक ही सीमित नहीं होती। यह कुछ बड़े नगरों या पश्चिमी देशों की आधुनिकता हो सकती है, भारत की नहीं। भारत की आधुनिकता तो गाँवों में, नगरों के निम्न और मध्यवर्ग लोगों में ही फैल रही है । जिस प्रकार धीरे-धीरे धार्मिक विश्वास खण्डित हो रहे हैं,रूढ़ियाँ टूट रही हैं और परम्पराएँ जर्जरित हो रही हैं तथा पुरातनत्व का कोढ़ जिस प्रकार गल रहा है, वह आधुनिकता नहीं तो और क्या है और यह एक संतोष की बात थी कि प्रारम्भ में रेण ने इस आधुनिकता को पहचान लिया था और अपनी सारी समर्थता एवं कलात्मक कौशल से उसे चित्रित करने का सफलतापूर्वक प्रयत्न किया
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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