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________________ १४० / प्राधुनिक कहानी का परिपार्श्व व्यक्तित्व निर्मित होता है । उनके पाठक 'जहां लक्ष्मी क़ैद है', 'पासफेल', तथा 'लंच टाइम' के राजेन्द्र यादव की तलाश में अब भी हैं और जब अपने प्रिय कथाकर को सोद्देश्यता से भटक कर 'आधुनिकता' के ग़लत चक्करों में पड़कर 'एक कटी हुई कहानी' तथा 'भविष्य के आसपास मंडराता प्रतीत' जैसी घोर प्रतिक्रियावादी कहानी लिखते पाता है, तो निराश ही होता है । उनकी कहानियों में आधुनिकता के सभी साज-सामान होते हैं, पर एक जीवन ही नहीं होता । उस जीवन को यदि राजेन्द्र यादव प्राप्त कर लें, तो यह एक बड़ी चीज़ होगी । 'जहाँ लक्ष्मी क़ैद है' और 'टूटना' सीमित अर्थों में उनकी उपलब्धियाँ हैं । अमरकान्त प्रगतिशील कहानीकार हैं । इस दशक के सभी कहानीकारों में वे एकमात्र ऐसे कहानीकार हैं जो प्रेमचन्द के अधिक निकट हैं । उनमें वही मानवीय संवेदनशीलता है, जीवन का यथार्थ है और आस्था एवं संकल्प है । उनके पात्रों में अपूर्व जिजीविषा है और सबसे बड़ी बात यह कि एक ऐसा प्रगतिशील दृष्टिकोण उभरता है जो जीवन से जूझने की एक नई प्रेरणा देता है और विषमताओं से ऊपर उठने का आत्मविश्वास भरता है । उनकी कोई कहानी उठा ली जाए'दोपहर का भोजन', 'डिप्टी कलक्टरी', 'ज़िन्दगी और जोंक', 'इन्टरव्यू', 'केले, पैसे और मूंगफली', 'गले की जंजीर', 'नौकर', 'एक असमर्थ हिलता हाथ', देश के लोग', 'खलनायक', 'लाट', 'लड़की और आदर्श' आदि सभी में यही भावना परिलक्षित होती है । इन सबका मूलाधार मध्य वर्ग है, जिसमें घुन लग चुका है और लोग प्रत्येक स्थिति में जीवन जीने का बहाना भर कर रहे हैं । उनके जीवन में असंख्य विकृतियाँ है, विपन्नता का अथाह सागर है और कुण्ठा, निराशा तथा विशृंखलता है, जिनकी कठोर यथार्थता मे उन्हें जीवन जीना पड़ता है । इस व्यापक यथार्थता को अपनी सूक्ष्म दृष्टि से अमरकान्त
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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