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________________ १३०/आधुनिक कहानी का परिपार्श्व में नरेश मेहता का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और उन्होंने आज की कहानी को एक सर्वथा अभिनव दिशा दी है। यह एक निर्विवाद तथ्य है कि नरेश मेहता के कहानी-क्षेत्र में आने के पूर्व हिन्दी कहानी में प्रेमचन्द की यथार्थ परम्परा का निर्वाह हो रहा था और राजेन्द्र यादव, मोहन राकेश तथा कमलेश्वर आदि सभी कहानीकार ठोस कथानक, स्थूल शिल्प आदि लेकर कहानियाँ लिख रहे थे । जहाँ लक्ष्मी कैद है', 'नए बादल' तथा 'राजा निरबसिया' आदि संग्रहों की कहानियाँ इसका प्रमाण हैं । पर नरेश मेहता ने जब कथाहीनता की प्रवृत्ति पर 'कहानी' का नया ढाँचा खड़ा किया और कहानी का आभास देने वाली 'कहानी' की रचना प्रारम्भ की , तो उसका प्रभाव स्पष्टतया सामने आना स्वाभाविक था और फिर आज की कहानी एक भिन्न दिशा में ही मुड़ गई। · नरेश मेहता ने लिखा है कि कहानी अभिव्यक्ति होती है। घटना मात्र नहीं । आज की कहानी फ़ॉर्मूला या सोद्देश्य कहानी-कला से आगे बढ़ चुकी है । प्राय: आक्षेप सुनने में आता है कि व्यक्तिवादिता ने. कुण्ठा को जन्म दिया, फलस्वरूप कहानी सिर्फ शैली रह गई। लेकिन यह भी तो उतना ही सच है कि /सोद्देश्यता ने कहानी को कूरूप,. सम्भाषण या नारेबाजी बना दिया। भूल यही है कि इस सशक्त माध्यम को व्यक्तियों. दलों, वर्गों के स्वार्थ-साधन के लिए सौंपना नहीं चाहिए । साहित्य स्वयं एक मूल्य होता है,क्योंकि उसमें जीवन परिलक्षित होता है। आज की नागरिक सभ्यता में सब विभाजित व्यक्तित्व के हैं । इसलिए हम आग्रहों को ही जीवन या अन्तिम सत्य मान लेते हैं । साहित्यकार किसी व्यक्ति या राजनीति के प्रति उत्तरदायी नहीं होता। वह व्यक्तियों, दलों से ऊपर है । वह अनुयायी नहीं होता । वह तो जीवन का सहचर है । साहित्यकार जीवन से सीखता है तथा उसी को पुनः सिखाता है। इसलिए साहित्य में निषेध कुछ नहीं माना गया है । हमारा बौनापन ही होता है कि हम कुछ को निषेधते हैं तथा कुछ को कला के नाम पर स्वीकारते हैं, जब कि मानव मात्र से सम्बन्धित समग्र ही वास्तविक कला है ।
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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