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११८/आधुनिक कहानी का परिपार्श्व के संहारक प्रयोग के फलस्वरूप मानव-जीवन में कितनी दुरूहताएँ उत्पन्न हो गई हैं। उनके बाद के आधुनिक विज्ञान और टेकनोलॉजी, संसार के अनेक देशों में साम्राज्यवाद के अन्त और फलतः नव-स्वतन्त्रता प्राप्त देशों में सामाजिक-आर्थिक प्रगति को योजनाओं और आकांक्षाओं, अत्यधिक औद्योगीकरण और उसके फलस्वरूप अनेक विषमताओं आदि ने एक नए मानव मन का निर्माण किया है। 'आधुनिकता' इसी से उत्पन्न स्थिति है, जिसके तत्व समसामयिकता में सन्निहित हैं। ऐतिहासिक वोध, वैज्ञानिक वस्तुपरकता, टेकनोलॉजी, धर्म-निरपेक्षता और 'destination man', ये आधुनिकता के मूल मंत्र हैं।
मानव-जीवन की अखण्डता या खण्डता, नई लय, गति, आधुनिक वैज्ञानिक युग की छाप, आधुनिक संघर्षपूर्ण युग, ऐसा युग जो एक हाथ में निर्माण और दूसरे हाथ में संहार लिए हुए है, की मननशीलता लिए है-आज की कहानी में जब चित्रित होते हैं तो वह आधुनिकता का ही चित्रण होता है । जब हम कहते हैं कि अतिशय बौद्धिकता आदि कुछ दोष उत्पन्न हो जाने पर भी आज की कहानी का भविष्य आशामय है, वह अपनी धरती की उपज है, उसका रूप-रंग 'दूर-देश' से उधार माँगा हुअा नहीं है, विषय, शिल्प और समाजोन्नुखता सभी दृष्टिकोणों से उसमें अपनापन और संघर्षों के बीच सजीवता का स्पन्दन है, तो ऐसा हम आधुनिकता के ही सन्दर्भ में कहते हैं, क्योंकि आज की कहानी आधुनिकता से अन्तरसंगुफित है।
आज के नए कहानीकारों में परम्परा के प्रति कोई आस्था और आसक्ति नहीं रह गई । वे उसे आज के संघर्षपूर्ण जीवन की अभिव्यक्ति के लिए अपूर्ण समझते हैं। आज की हिन्दी कहानी पर पिछले दो महायुद्धों के फलस्वरूप उत्पन्न विषमताओं का गहरा प्रभाव है। सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक परम्परागों-संक्षेप में समूचे मानवजीवन के प्रति इतनी निराशाजन्य अनासक्ति और अविश्वास तथा उदासीनना पहले कभी दृष्टिगोचर नहीं हुई। आणविक अस्त्र