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आधुनिक कहानी का परिपार्श्व ११३ 'सोलहवें साल की बधाई तथा विष्ण प्रभाकर की धरती
अब भी घूम रही है' आदि कहानियाँ । १२-प्रेम और बासना : आत्मपरक दृष्टिकोण से निर्मल वर्मा की 'लवर्स',
मोहन राकेश की 'बासना की छाया में', नरेश मेहता की 'वर्षा' भीगी' तथा सुधा अरोड़ा की 'एक सेंटीमेंटल डायरी
की मौत' आदि कहानियाँ। १३-प्रेम और उद्देश्य : सामाजिक सन्दर्भो में : मन्न भण्डारी की 'यही
सच है'. कृष्णा सोबती की 'वादलों के घेरे', विनीता पल्लवी
की 'एक अनउगा दिन' प्रादि कहानियाँ । १४-प्रेम और उद्देश्यः आत्मपरक सन्दों में : निर्मल वर्मा की 'तीसरा
गवाह', राजेन्द्र यादव की 'छोटे-छोटे ताजमहल', सुधा अरोड़ा
की 'एक मैली सुबह' आदि कहानियाँ। १५-प्रेम और अस्तित्व के उन्मीलन की समस्या: आत्मपरक सन्दर्भो
में : निर्मल वर्मा की 'पिक्चर पोस्टकार्ड', नरेश मेहता की 'एक इतिश्री', मोहन राकेश की 'पाँचवे माले का फ़्लैट', राजेन्द्र यादव की 'पुराने नाले पर नया फ़्लैट', कमलेश्वर की 'पीला गुलाब', उपा प्रियंवदा की 'पचपन खम्भे लाल दीवारें', कृष्णा सोबती की 'डार से बिछड़ी', मन्नू भण्डारी की गति का चुम्बन', विनीता पल्लवी की 'फागुन का पहला
दिन' आदि कहानियाँ। १६-राजनीतिक जीवन की कहानियाँ : मोहन राकेश की 'मलबे का
मालिक', नरेश मेहता की 'वह मर्द थी', अमरकान्त की 'हत्यारे', सुरेश सिनहा की 'वतन', फणीश्वरनाथ रेणु की 'पंच लाइट', कमलेश्वर की 'जॉर्ज पंचम की नाक' आदि कहानियाँ, जिनमें विभाजन, राजनीतिक हथकण्डों का सामाजिक जीवन पर प्रभाव, पंचों की राजनीति या नेताओं की प्रवृत्ति आदि पर व्यंग्यपूर्ण शैली में चित्रण है।