SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 103
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कहानीकार की प्रतिबद्धता और ___सामाजिक दायित्व मूल्य-मर्यादा और प्रतिमान के सन्दर्भ में चर्चा करते समय कहानीकार की प्रतिवद्धता और सामाजिक दायित्व के निर्वाह की चर्चा भी उठती है । ये दो बातें ऐसी हैं, जिनके सम्बन्ध में आज की कहानी में बार-बार प्रश्न उठाए जाते हैं और अपने-अपने ढंग से उसका उत्तर भी दिया जाता है। पहले कहानीकार की प्रतिबद्धता की ही बात लें। प्रतिबद्धता से हमारा क्या अभिप्राय होता है या लेखक का उससे क्या आशय होता है ? लेखक उसे अपना घोषणा-पत्र कह सकता है, अपना 'कमिटमेण्ट' कह सकता है । पाठक या हम उस प्रतिबद्धता को उसकी कहानियों में खोजते हैं । प्रतिबद्धता की कई सीमाएँ हो सकती हैं--आर्थिक-राजनीतिक, सामाजिक, पारिवारिक, वैयक्तिक, आत्मपरक, कुण्ठापरक, सेक्सजनित, प्रास्थाहीन आदि-आदि या इन सबका समन्वित विराट वोध का आभास देने वाली प्रतिवद्धता । इसी सन्दर्भ में सामाजिक दायित्व की बात कही जाती है, क्योंकि आखिरकार कहानीकार समाज का जागरूक प्रहरी होता है और समाज की समस्याओं, पीड़ा-व्यथा, अाशा-निराशा और नए यथार्थ का स्वाभाविक चित्रण करना ही उसका सामाजिक दायित्व होता है जिसका निर्वाह करने का प्रयास वह करता है, या कम-से-कम जिसका वह दावा करता है। सबसे पहले स्वयं 'नई' कहानी की प्रतिबद्धता पर ही विचार करें, जो अपने आप सामाजिक दायित्व से जुड़ जाती है, क्योंकि 'समाज से
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy