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________________ आधुनिक कहानी का परिपार्श्व/१०५ की धुटन अमरकान्त की दोपहर का भोजन', ऑफ़िसरों को पटाने की और लाभ उठाने की प्रवृत्ति भीष्म साहनी की 'चीफ़ की दावत', अत्यन्त शिक्षित होने पर भी बेरोज़गारी, नौकरियों के भ्रष्टाचार तथा विभ्रान्तता की व्यथा सुरेश सिनहा की 'नया जन्म' तथा रवीन्द्र कालिया की 'इतवार का एक दिन' आदि कहानियों में बड़ी सशक्तता, यथार्थता एवं सहजता से अभिव्यक्त हुई है और प्रत्येक दृष्टि से ये कहानियाँ श्रेष्ठ कहानियाँ हैं । पर इनका पलड़ा ऊपर की बताई कहानियों से भारी नहीं है, यह सत्य है। ___इन कहानीकारों ने बाद में चलकर प्रत्येक कुंठा, निराशा एवं घुटन को लेकर सेक्स से जोड़ दिया और वे अपने को अधिकाधिक संकुचित करते गए जिससे ह्रासोन्मुख एवं प्रतिक्रियावादी तत्वों को अधिक प्रश्रय मिलने लगा और कहानियों का समूचा दौर एक स्वस्थ बिन्दु से प्रारम्भ होकर विघटनकारी दिशा की ओर अप्रत्याशित रूप से मुड़ गया। इसने प्रत्येक जागरूक एवं प्रबुद्ध पाठक का विस्मय में रह जाना स्वाभाविक ही था । वास्तव में कहानीकार समाज का जागरूक प्रहरी होता है । वह समाज में ही जीता है और उसकी सारी सम्भावनाएँ सामाजिक परिवेश में ही बनती-बिगड़ती हैं। उसकी समस्याएँ समाज के दूसरे लोगों से भिन्न नहीं होती और उसकी यथार्थता ही समाज की यथार्थता होती है-यह सब सत्य है । पर इससे भी बड़ी एक बात यह होती है कि कहानीकार समाज में रहता हया भी उससे ऊपर उठता है। तभी वह तटस्थ, निःसंग और निवैयक्तिक भाव से सारी समस्याओं, पात्रों एवं स्थितियों को यथार्थपरक ढंग से प्रस्तुत कर पाता है। दूसरे शब्दों में, उसे समाज में रहते हुए अपने मन की कुंठा, वर्जना, निराशा और इसी प्रकार के दूसरे भावों से जूझते हुए विषम परिस्थितियों से उभरना पड़ता है। तभी वह कलाकार बनता है और यही यथार्थ कला की जबर्दस्त माँग होती है। ऐसा न होने पर उसमें मूल्य-मर्यादा पहचानने की क्षमता जाती रहती है और वह पूर्णतया लीन भाव से साहित्य-रचना करता
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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