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विहार करें है । बहुरि अंजनसम प्रभावान अरिष्टमणिमयी राहूके विमान एक योजन लंबे चौडे मर ढाईसे धनुष मोटे है । बहुरि नवीन चमेली का फूलकी प्रभाके समान रजत परिणामी शुक्रनिक विमान एक कोश चौडे लंबे है । अर जातिमान मुक्ताफलकी क्रांतिकै समान अंक मणिमयी बृहस्पतिनिके विमान किंचित् घाटि एक कोश प्रमाण चौडे लंबे हैं । बहुरि कनकमयी अर्जुनवर्ण बुध विमान है । बहुरि तपनीयमयी तप्त तप नीय समान क्रांतिमान शनीश्वरनिके विमान हैं । अर लोहिताक्ष मणिमयी तप्त कनक प्रभावान अंगारकनिके विमान हैं । अर ए बुधने आदि लेय विमान आध कोश लंबे चौडे हैं । भर शुक्रादि विमान प्रत्येक चार चार हजार देवनिकरि धारण करिए हैं। भर नक्षत्र विमान निके प्रत्येक चार चार हजार देव चलावने वारे हैं । अर तारकानिके विमाननकुं चलाने वारे प्रत्येक दोय दोय हजार देव हैं। अर राहु आदि के माभियोग्य देव ने हैं तिनकै रूप विकार चन्द्रवत् जानने योग्य है ।
अर्थात् सिंह कुंजर वृषभ तुरंगरूपकरि विमाननितैं चला हैं । नक्षत्रनिके विमाननिका उत्कृष्ट चौडापणां एक कोशप्रमाण जानना भर तारका निके विमाननिको मोटापर्णो जघन्य तौं एक कोशका चतुर्थ भाग प्रमाण 1 भर मध्यम किंचित् अधिक एक कोशका चतुर्थ भाग प्रमाण है । अर ज्योतिषीनिके विमाननिका सर्व जघन्य मोटापणां पांचसै धनुष प्रमाण है । पर ज्योतिपीनिके इंद्र सूर्य भर चंद्र हैं ते असंख्यात हैं ॥ १२ ॥
भागे तेरम सूत्रकी उत्थानिका कहे है ।
ज्योतिष्काणां गतिविशेष प्रतिप्रत्यर्थमाह
अर्थ - ज्योतिषी निकी गतिविशेषकं जनावनैनिमित्त कहें है। सूत्रं
मेरुप्रदक्षिणा नित्यगतयो नृलोके ॥ १३ ॥
( श्री उमास्वामिकृत )