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नीलगाय है, केवल सानादि वर्जित है किन्तु शेष अवयव माय: साधयंतामें तुल्य हैं। इसी वास्ते इसका नाम मायः साधयोंपनीत अनुमान प्रमाण है ।। अथ सर्व साधोपनीतका वर्णन किया जाता है।
मूल ॥सेकित्तं सव साहम्मोवमं नथि तहा वितस्स तेणेव उवमं कीर तंजहा अरिहंतेहिं अरिहंत सरिसं कयं एवं चक्कवहिणा चक्कवट्टी सरिसं कयं बलदेवेणं बलदेव सरिसं कयं वासु. देवेणं वासुदेव सरिसं कयं साहुणा साहु सरिसं कयं सेत्तं सब साहम्मे सेत्तं सब साहम्मोवर्षीय ॥
भाषार्थ:-(प्रश्ना) वह कौनसा है सर्व साधोपनीत उपमान प्रमाण ? (उत्तर) सर्व साधोपनीत उपमान प्रमाणकी कोई भी उपमा नही होती है परंतु तद्यपि उदाहरण मात्र उपमा करके दिखलाते हैं। जैसेकि अरिहंत (अईन)ने अरिहंतके सामान ही. कृत किया है इसी प्रकार चक्रवतीने चक्रवतीके तुल्य ही