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(५७) कार्य कीया है, बलदेवने बलदेवके सामान, वासुदेवने वासुदेवके सामान कृत किये हैं तथा साधु साधुके सामान.व्रतादिको पालन करता है, यह सर्व साधोपनीत उपमान प्रमाण है ॥ ___ मूल ॥ सेकित्तं वेहम्मोवणीय २ तिविहे पं. तं. किंचिवेहम्मे पायवेहम्मे सबवेहम्मे सेकिंत्तं किंचिवेहम्मे जहा सामलेरो न तहा वाहुलेरो जहा वाहुलेरो न तहा सामलेरो से किंचिवेहम्मे ॥
भाषार्थ:-(प्रश्नः ) वह कौनसा है वैधोपनीत उपमान प्रमाण ? (उत्तरः ) वैधोपनीत उपमान प्रमाण तीन प्रकारसे वर्णन किया गया है जैसेकि-किंचित् वैधोपनीत उपमान प्रमाण १ प्रायः वैधयत्व र सर्व वैधयंत्व ३॥(पूर्वपक्षः) किचित् वैधये उपमान प्रमाणका क्या उदाहरण है? (उतरपक्षः) जैसे श्याम गोका अपत्य है वैसी ही श्वेत गोका अपत्य नहीं है अर्थात् जैसे श्याम वर्णकी गोका वत्स है वैसे ही घेत गोका वत्स नहीं है, क्योंकि वर्णमें भिन्नता है इसका ही नाम किंचित् वैधय॑त्व उपमान है। सर्व अवयवादिमें एकत्वता सिद्ध होनेपर केवळ वर्णकी विभिन्नतामें किंचित् वैधर्म्यत्व उपमान प्रमाण सिद्ध हो गया ॥