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( १६७ ) उछ दिसि प्पमाणातिकमे. अहीं दिसि प्पमाणाइक्कमे तिरिय दिसि पमाणाश्क्कमे
खेत बुढि सयंतरद्धा। ___ भाषार्थ:-उर्ध्व दिशिको प्रमाण अतिक्रम करना १ अधी दिशिका प्रमाण अतिक्रम करना २ तिर्यग् दिशिका प्रमाण अतिक्रम करना ३ क्षेत्रकी वृद्धि करना जैसेकि कल्पना करो कि किसी गृहस्थंने चारों ओर शतं ( सौ ३) योजन प्रमाण क्षेत्र रक्खा हुआ है । फिर ऐसे न करे कि पूर्वकी ओर १५० योजन प्रमाण कर लूं और दक्षिणकी ओर १० योजन ही रहने दूं क्योंकि दक्षिणमें मुजे काम नही पड़ता पूर्वमें अधिक काम रहता है। यह भी अतिचार है ४ । और पंचम अतिचार यह है कि जैसेकि प्रमाणयुक्त भूमिमें संदेह उत्पन्न हो गया कि स्यात् में इतना क्षेत्र प्रमाण युक्त आ गया हूँ सो संशयमें ही आगे गमेण करना यही पांचमा अतिचार है अपितु पाँचो ही अतिचारोंको वर्जके प्रथम गुणव्रत शुद्ध ग्रहण करनी चाहिये ।
लोग परिलोग परिमाणे । . जो वस्तु एक बार भीगनमें आवे तथा जो वस्तु वारम्बार