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(१५८) भोगने आवे उसका परिमाण करना सो ही द्विनीय गुणवत है, सो इस व्रतके अंतरंगत ही पविशति वस्तुओंका परिमाण अवश्य करना चाहिये, जैसेकि
१ उल्लणियाविहं-स्नानके पश्चात् शरीरके पूंछनेवाले वस्त्रका परिमाण करना तथा जितने वस्त्र रखने हों। • २ दंतणविहं-दांत मक्षालण अर्थे दांतुनका परिमाण करना।
३ फलविहं-केशादि धोवनके वास्ते फोका परिमाण करना ।
४ अभंगणविहं-तैलादिका प्रमाण अर्थात् शरीरके मर्दन वास्ते ।
५ उवट्टणविह-शरीरकी पुष्टि वास्ते उवट्टनका परिमाण ।
६ मज्जनविहं-स्नानका परिमाण गणन संख्या वा पा'णीका परिमाण। . ७ वत्थविई-चत्रोंका प्रमाण अर्थात् वस्खोंकी जाति संख्या बा गणन संख्या।
८विलेवणविहं-चंदनादि विलेपनका परिमाण । १. ९ पुष्कविह-शरीरके परिभोगनार्थे पुष्पोंका परिमाण ।